3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। अभिव्यक्ति की आज़ादी के महत्व को रेखांकित करता आज का दिन बताता है कि पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार है।
आज का दिन प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान और समर्थन करने के उद्देश्य से जुड़ा है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा है कि देशों को यह सुनिश्चित करने के लिए हर सम्भव प्रयास करने होंगे कि मुक्त और स्वतंत्र समाचार रिपोर्टिंग फल-फूल सके।
वोल्कर टर्क ने देशों से एआई की तेज़ रफ़्तार और बढ़ते प्रयोग के माहौल में सामने आने चुनौतियों से निपटे जाने का भी आहवान किया है।
वोल्कर टर्क ने कहा कि इस वर्ष प्रेस स्वतंत्रता दिवस को मनाते समय यह याद रखना होगा कि मीडिया दमन बढ़ रहा है जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरी तरह से सूचना सृजन, वितरण और उसके प्रयोग के तरीक़े को बदल रही है।
उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि एआई वैसे तो पत्रकारों के लिए एक उपयोगी साधन हो सकती है, मगर यह प्रेस स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण जोखिम भी उत्पन्न कर रही है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 3 मई के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने जारी अपने एक सन्देश में कहा- “बढ़ते युद्ध व टकराव, जलवायु अराजकता, बढ़ते विभाजन और तेज़ी से बदलते डिजिटल परिदृश्य के बीच, स्वतंत्र प्रेस पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।”
मीडिया हमें अपने आस-पास की दुनिया को समझने और आलोचनात्मक सोच और संवाद को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। मुक्त और स्वतंत्र मीडिया को ग़लत सूचना के प्रसार का मुक़ाबला करने के लिए सबसे अच्छा साधन बताते हुए वोल्कर टर्क ने आगाह भी किया कि दुनिया के हर क्षेत्र में प्रैस की स्वतंत्रता ख़तरे में है।
वोल्कर टर्क ने बताया कि जनवरी 2025 से अभी तक, मीडिया में काम करने वाले कम से कम 20 लोग मारे गए हैं और पत्रकारों के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए दंड से मुक्ति व्यापक रूप से फैली हुई है। आगे उन्होंने बताया कि इनमें 80 प्रतिशत से अधिक हत्याओं के लिए किसी को जवाबदेह या ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है। इसके कारण दोषी न्याय के कटघरे में नहीं पहुँच पाते हैं।
मीडियाकर्मियों को परेशान करने का मामला उठाते हुए उनका कहना था कि पत्रकार अपना काम करते हैं जबकि उनकी आवाज़ दबाने के लिए उन्हें हिरासत में लेते हैं, उन्हें यातना देते हैं और यहाँ तक कि मार भी देते हैं। उन्होंने कुछ ऐसे देशों का भी हवाला दिया जहाँ टकराव और युद्ध वाले क्षेत्रों में पत्रकारों पर तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगाए जाते हैं।
वोल्कर टर्क ने एआई-आधारित अल्गोरिदम की मदद से लोगों की राय और धारणा को निश्चित आकार देने की बात कही और बताया कि राजनेता ग़लत सूचनाओं को हथियार बनाने और अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किस तरह एआई का उपयोग कर रहे हैं।
साथ ही देश, पत्रकारों और उनके स्रोतों की ऑनलाइन निगरानी का भी मुद्दा वोल्कर टर्क ने उठाया और इसे पत्रकारों की निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया।
अपने वक्तव्य में उन्होंने कॉर्पोरेशन और प्रभावशाली व धनी व्यक्तियों के छोटे समूह द्वारा एआई तकनीक पर लगभग पूरा नियंत्रण होने की बात भी कही।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी प्रैस स्वतंत्रता पर अपने सन्देश में एआई द्वारा उत्पन्न अवसरों और जोखिमों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा- “पक्षपाती अल्गोरिदम, सरासर झूठ और घृणा फैलाने वाले भाषण, सूचना सुपरहाइवे पर बारूदी सुरंग हैं। उन्हें शान्त करने के लिए, सटीक, सत्यापन योग्य, तथ्य-आधारित जानकारी, सबसे अच्छा साधन है।”
वोल्कर टर्क अपनी घोषणा में कहा कि उनका कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक और सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को, तकनीकी कम्पनियों को उनके उपकरणों से, पत्रकारों और नागरिक समाज के लिए होने वाले जोखिमों का आकलन करने में मदद के लिए मार्गदर्शन उपलब्ध करा रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा- “मुक्त, स्वतंत्र और विविधतापूर्ण मीडिया हमारे समाजों में विभाजन को ठीक करने में मदद कर सकता है। हमें इसे बचाने और इसे पनपने देने के लिए, अपनी शक्ति के दायरे में, सब कुछ करना चाहिए।”