एक नए अध्ययन से पता चला है कि शहर के वातावरण की तुलना में कुदरती हरे भरे माहौल में चलने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में अधिक सुधार होता है।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में छपे अध्ययन का निष्कर्ष कहता है, “प्रकृति में टहलना व्यायाम से जुड़े लाभों के अलावा मस्तिष्क में कुछ कार्यकारी नियंत्रण प्रक्रियाओं को बढ़ाता है।”
एक नए मस्तिष्क स्कैन अध्ययन में पाया गया कि जो लोग यूटा विश्वविद्यालय के वनस्पति उद्यान (University of Utah’s botanical garden) में टहलने गए थे, उन्होंने मस्तिष्क समारोह परीक्षण में उन लोगों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया, जो विश्वविद्यालय के मेडिकल परिसर की एक इमारत में टहले थे।
जर्नल ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित शोध परिणामों में शोधकर्ताओं ने कहा कि प्राकृतिक परिदृश्य या वातावरण में चलने से मस्तिष्क का कार्यकारी कार्य सक्रिय हो जाता है, जो मानव स्मृति, निर्णय लेने, समस्या सुलझाने और योजना बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है।
New research from #UofU psychology researchers is helping demonstrate what American authors John Muir and Henry David Thoreau tried to teach more than 150 years ago: Time spent in nature is good for the heart and soul.https://t.co/87vwX83Und
— University of Utah (@UUtah) January 30, 2024
कई शोधकर्ताओं का अनुमान है कि प्रकृति की मौलिक आवश्यकता, मनुष्यों के डीएनए में निहित है, और प्रकृति तक कम होती पहुंच हमारे स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही है।
यूटा विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डेविड स्ट्रायर ने कहा कि मस्तिष्क के यही कार्यकारी नेटवर्क उन चीजों में शामिल होते हैं जो हम दैनिक आधार पर करते हैं। यह उच्च कोटि की सोच का एक अनिवार्य घटक है। और हमारी टीम द्वारा किए गए अध्ययन इस बात का सबूत देते हैं कि प्रकृतिक माहौल में चलने से मस्तिष्क के इस पहलू पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मनोविज्ञान के प्रोफेसर स्ट्रायर ने कहा, “बायोफिलिया नामक एक विचार है जो मूल रूप से कहता है कि सैकड़ों हजारों वर्षों में हमारे विकास ने हमें प्राकृतिक जीवित चीजों के प्रति अधिक जुड़ाव या प्रेम पैदा किया है और हमारा आधुनिक शहरी वातावरण सेल फोन, कारों, कंप्यूटर और यातायात के साथ घने शहरी जंगल में बदल गया है, जो उस तरह के पुनर्स्थापनात्मक वातावरण के बिल्कुल विपरीत है।