जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद अखिल भारतीय संत समिति और विश्व हिंदू परिषद ने राज्य में कथित रूप से तोड़े गए 435 मंदिरों के पुननिर्माण की मांग की है।
संत समिति के महासचिव स्वामी जीतेंद्रनांद सरस्वती और विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सरकार मंदिरों के पुननिर्माण के अलावा इसे तोडने वालों की पहचान कर ऐसे तत्वों केखिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करे। दोनों ने यह भी कहा कि या तो सरकार तोड़े गए मंदिरों का निर्माण करे या यह जिम्मेदारी संत समाज को सौंपे।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, स्वामी जीतेंद्रानंद और आलोक कुमार ने कहा कि कश्मीर पंडितों के पलायन के बाद सूबे में सैकड़ों मंदिरों को ध्वस्त किया गया। इनका पुननिर्माण और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। सरकार अगर मंदिरों का पुननिर्माण नहीं कर सकती तो इसे संत समिति को सौंप दे।
दोनों ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कलंक को धोने के बाद अब विस्थापितों को पूरी सुरक्षा के साथ पुरानी जगह पर बसाना सरकार का मुख्य दायित्व होना चाहिए। जो परिवार अपने जन्मभूमि नहीं जाना चाहता, सरकार ऐसे परिवारों की संपत्ति का उपयोग कर संबंधित परिवार को मुआवजा दे।
राम मंदिर मामले में संत समाज का सम्मेलन शनिवार को होगा। इसमें राम जन्मभूमि, सबरीमाला मंदिर, मठों और मंदिरों में सरकारों के अनावश्यक हस्तक्षेप, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की बाद की स्थिति पर चर्चा होगी।
स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर विवाद पर हो रही रोजना सुनवाई पर संत समाज की निगाह रख रहा है। सम्मेलन ने इन सभी मामलों पर विमर्श के बाद प्रस्ताव पारित किया जाएगा।