निर्वाचन आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी है। शुक्रवार को निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ आवंटित कर दिया है। इस फैसले से नाराज़ उद्धव ठाकरे ने भविष्य की करवाही पर चर्चा करने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों की आज शनिवार को बैठक बुलाई है।
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक़ उद्धव ठाकरे के नेताओं, उप नेताओं, निर्वाचित प्रतिनिधियों तथा प्रवक्ताओं की बैठक दोपहर में उपनगरीय बांद्रा स्थित ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ में होगी।
पिछले वर्ष जून में शिंदे ने ठाकरे से नाता तोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में सरकार बना ली थी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को असली शिवसेना की मान्यता मिलने के बाद ठाकरे परिवार ने 1966 में बालासाहेब ठाकरे की बनायी पार्टी से नियंत्रण खो दिया है। छह महीने पहले शिंदे द्वारा दायर याचिका पर तीन सदस्यीय आयोग ने सर्वसम्मत आदेश में कहा कि उसने फैसला लेते समय विधायक दल में पार्टी के संख्या बल पर के आधार पर ये निर्णय लिया है। गणना के अनुसार मुख्यमंत्री को 55 विधायकों में से 40 विधायक और 18 सांसदों में से 13 का समर्थन प्राप्त है।
चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट को देने के फैसले पर उद्धव ठाकरे ने कहा- 'जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न दे'#UddhavThackeray #Shivsena pic.twitter.com/H7VpIryld9
— The Lallantop (@TheLallantop) February 17, 2023
अपने आदेश में इलेक्शन कमीशन ने कहा कि शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 40 विधायकों ने कुल 47,82,440 मतों में से 36,57,327 मत प्राप्त किए, जो 55 विजयी विधायकों के पक्ष में डाले गए मतों का लगभग 76 प्रतिशत है। यह 15 विधायकों द्वारा हासिल किये गए 11,25,113 मतों के मुकाबले था, जिनके समर्थन का दावा ठाकरे गुट द्वारा किया जाता है। ठाकरे ने शुक्रवार को निर्वाचन आयोग के फैसले को