संसद में मणिपुर हिंसा के चलते गतिरोध जारी है। इस बीच 26 विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने मोदी सरकार के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है।
संसद के मानसून सत्र में में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मणिपुर हिंसा को लेकर हंगामे का माहौल बना हुआ है। इस हंगामे के बीच सत्ता दल तेज़ी से विधायी कामकाज निपटाने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष के हंगामे और बहिष्कार के बावजूद मंगलवार को दोनों सदनों में सरकार ने सहकारी सोसायटी बिल सहित तीन विधेयक पारित कराए।
सरकार को घेरने की मुहिम में कांग्रेस ने अपने सदस्यों को मुख्य मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार रहने को कहा है। विपक्षी दल के नेता जिनमे इण्डिया यानी ‘भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन’ के सांसदों की मंगलवार सुबह बैठक हुई। इस बैठक में अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे व लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीररंजन चौधरी को पत्र लिखकर कहा कि सरकार मणिपुर पर किसी भी नियम के तहत चर्चा के लिए तैयार है।
संसद के #MonsoonSession में मणिपुर के मुद्दे पर गतिरोध जारी है. इस बीच विपक्ष 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रहा है. #Loksabha में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि विपक्षी पार्टियां सदन में प्रस्ताव लेकर आएंगी. #Parliament… pic.twitter.com/X1gyDjabQ9
— ABP News (@ABPNews) July 25, 2023
मणिपुर हिंसा पर मंगलवार को लगातार चौथे दिन हंगामा जारी रहने पर सरकार को उम्मीद है कि ये हालात बने रहेंगे। ऐसे में सत्तादल विधायी कामकाज निपटाने का फैसला किया है।
लोकसभा में हंगामे के दौरान जैव विविधता संशोधन विधेयक, बहुराज्य सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक तथा राज्यसभा में विपक्ष की अनुपस्थिति में अनुसूचित जातियां आदेश संविधान संशोधन विधेयक पारित किया गया।
इसके साथ ही केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली सेवा अध्यादेश का स्थान लेने वाले विधेयक को भी मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में विधेयक को मंजूरी दी गई।
मोदी सरकार के ख़िलाफ़ संसद में कांग्रेस लाएगी अविश्वास प्रस्ताव, आरजेडी बोली- सवाल आंकड़ों का नहीं
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— BBC News Hindi (@BBCHindi) July 26, 2023
संसद में आज इस विधेयक के पेश किए जाने की उम्मीद है। समूह-ए अधिकारियों के तबादले और तैनाती के सम्बन्ध में दिल्ली में प्राधिकरण बनाए जाने के लिए अध्यादेश जारी किया गया था। जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है, तो कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति की ओर से अध्यादेश जारी किया जाता है। संसद सत्र जारी होने पर छह सप्ताह में अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए विधेयक पारित कराना जरूरी होता है।