मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान एक रिपोर्ट का खुलासा हुआ है। ये रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में वायुमंडल में 4060 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है। उत्सर्जन का ये आंकड़ा दुनिये के लिए खतरे का संकेत दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022 में 40.6 GtCO2 कुल उत्सर्जन 2019 में अब तक के उच्चतम वार्षिक कुल 40.9 GtCO2 के करीब है। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान 7 प्रतिशत है।
कार्बन उत्सर्जन की ये मात्रा कई खतरनाक समस्याओं की ओर इशारा कर रही हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है तापमान वृद्धि पर नियंत्रण पाना।
वर्तमान स्तर बने रहने की दशा में ग्लोबल कार्बन बजट 2022 रिपोर्ट के के मुताबिक़ इस बात की 50 प्रतिशत उम्मीद है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग नौ वर्षों में पार हो जाएगी। जबकि वर्ष 2015 में होने वाले पेरिस जलवायु सम्मेलन में पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में देशों ने वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए कानूनी रूप सख्ती से पालन किये जाने की बात कही थी।
धरती पर सूखा, जंगल में लगने वाली आग और बाढ़ का कारण ये उत्सर्जन के कारण बढ़ने वाली वार्मिंग है। 2021 के अनुसार दुनिया का आधे से अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में चीन (31 प्रतिशत), अमेरिका (14 प्रतिशत) और यूरोपीयन यूनियन (8 प्रतिशत) से दर्ज किये गए थे। जबकि इस रिपोर्ट के मुताबिक़ वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान 7 प्रतिशत था। फिलहाल चीन में 0.9 प्रतिशत और यूरोपीयन यूनियन में 0.8 प्रतिशत अनुमानित उत्सर्जन में कमी दर्ज की गई है। लेकिन अमेरिका 1.5 प्रतिशत, भारत 6 प्रतिशत और शेष विश्व 1.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शा रहे हैं। 2022 में भारत में उत्सर्जन में छह प्रतिशत की वृद्धि का मुख्य कारण कोयले के उत्सर्जन में पांच प्रतिशत की वृद्धि बताया जा रहा है।