सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू कामगारों की सुध लेते हुए केंद्र सरकार से उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनी उपाय सुझाने की बात कही है। शीर्ष अदालत ने इसके लिए समिति के गठन के अलावा समिति द्वारा छह महीने में रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है।
घरेलू कामगार को एक आवश्यक कार्यबल बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। साथ ही इसमें घरेलू कामगार नियोक्ताओं और एजेंसियों द्वारा शोषण, दुर्व्यवहार और तस्करी जैसे मामलों का भी ज़िक्र किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मोदी सरकार को घरेलू कामगारों के नियमन और सुरक्षा के लिए कानूनी रूपरेखा सुझाने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू कामगारों के नियमन और सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार से कानूनी उपाय सुझाए जाने की बात कही है। इसके लिए समिति का गठन के साथ छह महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से समिति की सिफारिश के बाद तुरंत कानून बनाने का प्रयास करने की बात कही है।
घरेलू कामगारों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और संबंधित मंत्रालयों को निर्देश जारी किए हैं।