जिनेवा: एक नए अध्ययन में पता चला है कि स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2050 तक 10 मिलियन तक पहुंच सकती है, जिससे निम्न और मध्यम आय वाले देश सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर में स्ट्रोक के मामलों पर गौर किया जाए तो बीते तीस सालों में स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या दुगनी हुई है।
विश्व स्ट्रोक संगठन और लैंसेट न्यूरोलॉजी आयोग के सहयोग से तैयार इस स्टडी के अनुसार 2020 में स्ट्रोक के मामलों के चलते विश्व में करीब 66 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
स्ट्रोक के मामलों को लेकर सरकारों और मेडिकल संस्थानों का यही रवैया रहा, तो वर्ष 2050 तक स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या बढ़कर करीब एक करोड़ होने की आशंका है।
स्ट्रोक से होने वाली मौतों पर ये आंकड़े विश्व स्ट्रोक संगठन और लैंसेट न्यूरोलॉजी कमीशन के बीच एक संयुक्त प्रयास का नतीजा है, जिसके अंतर्गत चार अध्ययन प्रकाशित किये गये हैं।
'स्ट्रोक' के खतरे पर कैसे रोक?
2050 तक स्ट्रोक लेगा 1 करोड़ जान
मोटापा-#Diabities का स्ट्रोक कनेक्शन#AapkiKhabarAapkaFayda में आज देखिए,
'नई महामारी, 'स्ट्रोक' की बारी? @AnchorDeepak_ @aparna_jaswal @DrLahariya
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— Zee Business (@ZeeBusiness) October 11, 2023
इस आयोग के तहत प्रकाशित इन चार पत्रों ने वैश्विक स्ट्रोक संकट (global stroke crisis) को कम करने के लिए व्यावहारिक सिफारिशें पेश की हैं।
रिपोर्ट में आयोग की सिफारिशों की सख्त निगरानी और कार्यान्वयन पर जोर दिया गया है। आयोग ने अपने शोध निष्कर्षों को स्ट्रोक निगरानी, रोकथाम, गहन देखभाल और पुनर्प्राप्ति पर 12 साक्ष्य-आधारित सिफारिशों पर किया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर में स्ट्रोक के मामलों पर गौर किया जाए तो बीते तीस सालों में स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या दुगनी हुई है। शोधकर्ताओं की तरफ से रिपोर्ट में इस अपेक्षित मुद्दे से निपटने के लिए साक्ष्य-आधारित प्रभावी समाधान की भूमिका के महत्व पर ज़ोर दिया गया है।