भारत में तपेदिक यानी टीबी से जुड़े मामलों को लेकर जो स्टडी सामने आई है वह खौफनाक है। स्टडी के हवाले से देश को इस बीमारी के चलते इंसानी जानों के साथ बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान की भी चेतावनी दी गई है।
भारत में तपेदिक की समस्या को लेकर रिसर्चर्स द्वारा तैयार एक मॉडल में इसके आर्थिक, स्वास्थ्य और जनसंख्या पर होने वाले प्रभाव की पड़ताल की गई। रिसर्चर्स का कहना है कि अनुमान के मुताबिक़ 2021 से 2040 तक, भारत में टीबी के स्वास्थ्य और व्यापक आर्थिक बोझ में 62.4 मिलियन से अधिक का खर्च आएगा। इसमें टीबी से संबंधित 80 लाख मौतें और 146.4 बिलियन जीडीपी का नुकसान होने का अनुमान है।
भारत में अगले दो दशकों यानीं साल 2021- 2040 तक टीबी के 6 करोड़ मामले और 80 लाख मौतें हो सकती हैं। Journal PLoS Medicine की स्टडी से खुलासा हुआ है कि इन हालात में देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को 146.4 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान होने की संभावना है।
स्टडी के हवाले से लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, यूके के रिसर्चर कहते हैं कि इन हालात में कम आय वाले मिडिल क्लास परिवार सबसे अधिक खतरे की चपेट में हैं। इन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बोझ झेलना पड़ सकता है, जबकि आर्थिक रूप से समृद्ध परिवारों को आर्थिक बोझ झेलना पड़ सकता है।
तपेदिक यानी ट्यूबरक्लोसिस, बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलने वाली बिमारी है जिसका संक्रमण हवा में होता है। संक्रमित मरीज़ के खांसने, छींकने या बोलने से बीमारी का बैक्टीरिया हवा में फैलकर अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है।
टीबी के सामान्य लक्षणों में लगातार खांसी, सीने में दर्द, बुखार और थकान जैसी समस्या होती हैं। इस रोग में मरीज़ के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करती है।
रोग का पता अगर प्रारम्भ में ही लगा लिया जाए तो इससे जल्दी उबरा जा सकता है मगर देर करने पर केस और सेहत दोनों ही बिगड़ जाते हैं। बीमारी के प्रति लापरवाही से मौत भी हो सकती है।
रिसर्च बताती है कि बीमारी का तुरंत पता लगाने और लगातार दवा खाने से बीमारी और इसकी दर में सुधार हो सकता है।हालाँकि आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में 63 प्रतिशत मामलों का पता लगा लिया जाता है। टीबी का संक्रमण हुआ है या नहीं, इसका पता लगाने की दर में भी सुधार हुआ है।
रिसर्च बताती है कि 95 प्रतिशत प्रभावी टीबी के इलाज के साथ ही मामले का पता लगाने से टीबी की समस्या को 78-91 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ऐसा करने पर 124.2 बिलियन डॉलर आर्थिक बोझ को भी घटाया जा सकता है।
तपेदिक से मुक़ाबला करने के साथ इसके खात्मे के लिए साल 2000 से ही फंड की व्यवस्था की जा रही है, इसके बावजूद टीबी का ग्लोबल विस्तार डराने वाला है।