अड़तीस की हो गई फिल्म इंडस्ट्री की नंबर वन ड्रामा क्वीन राखी सावंत उर्फ नीरू बेडा। क्या बात है उसमें जो हाल ही में सुपर स्टार रजनीकांत ने भी उसे भी ऐश्वर्या, कैटरीना और माधुरी दीक्षित के साथ क्वीन ऑफ बॉलीवुड कहा ? राखी सावंत में ऐसा क्या है जो उसे आज के दौर की दूसरी आयटम डांसरों से अलग बनाता है? बड़बोलापन? उतावलापन? मूर्खतापूर्ण जवाब? ये सब शायद वो जानबूझ कर करती है। उसके अंदर चौबीसों घंटे जो आग खौलती रहती है, वो है जो उसे सबसे अलग बनाती है। superstar rajnikant
राखी सावंत का नाम 2004 में आई सुपरहिट फिल्म ‘मैं हूं ना’ के बाद उभरा था। राखी आज भी गर्व से बताती हैं कि वह किंग खान की खोज है। जबकि सचाई यह है कि ‘मैं हूं ना’ से पहले वह कई बी और सी ग्रेड फिल्मों में छोटे-मोटे रोल और आयटम नंबर कर चुकी थीं। मैं हूं ना उसने जायेद खान की गर्ल फ्रेंड मिनी का किरदार निभाया था।
राखी का पैदाइशी नाम है नीरू। उसकी मां ने दूसरी शादी एक पुलिस वाले से की थी। इस तरह से वह नीरू सांवत बनी। शुरुआती कुछ फिल्मों में वह रूही नाम से आई। फिर अपना नाम बदल कर राखी रख लिया।
उनकी जैसी लड़कियां फिल्म इंडस्ट्री में भरी पड़ी हैं। लगभग पच्चीस साल पहले कोरियाग्राफर सरोज खान के ग्रुप में काम करने वाली पूनम ने कहा था। यहां हर साइड डांसर की ख्वाहिश एक दिन हेलन या कल्पना अय्यर बनने की होती है। एक सोलो आयटम डांस करने को मिल जाए बस। पूनम सुंदर थीं, पर कभी ग्रुप डांसर से आगे नहीं बढ़ पाई। रंगीला फिल्म की हीरोइन उर्मिला मातोंडकर की तरह हर लड़की किस्मतवाली नहीं होती कि उसे आयटम नंबर या हीरोइन की भूमिका मिल जाए।
उनको बहुत पहले अहसास हो गया था कि अगर इंडस्ट्री में उसे बने रहना है तो अपनी सारी बंदिशें तोड़ कर उसे बिंदास बनना होगा। चाहे एक पार्टी में मिका सिंह के साथ का किस प्रकरण हो, बिग बॉस में एंट्री हो, राखी का स्वयंवर हो या चुनाव में खड़े होना हो, राखी जम कर अपनी वकालत करती है।
कुछ समय पहले कोलंबो में एक स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान वह सिर के बल गिर पड़ी थीं। काफी दिन अस्पताल में रहीं, कुछ दिनों तक याददाश्त भी गुम रही। अपने इस किस्से को भी वह चटपटे ढंग से सुनाती है कि मैं सही मायने में लेडी गजिनी हूं।
एक्सीडेंट के बाद वह एक बार फिर लौट आई है अपने पूरे फॉर्म में यह कहती हुई कि अगर अमेरिका के चुनाव में ट्रंप के साथ हिलेरी के बजाय वो खड़ी होती, तो ट्रंप चुनाव हार जाते। यही नहीं, उत्तरप्रदेश के चुनावों में भी वह पूरे जोश ओ खरोश के साथ खड़ी होना चाहती है।
बचपन में मुफलिसी में दिन गुजारने वाली राखी अपने आपको लोवर मिडिल क्लास परिवार का मानती है। उसने इस बात को कभी नहीं छिपाया कि बचपन में कई दिन उसे भूखा सोना पड़ा, ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाई, मां से रिश्ते बड़े तल्ख रहे, अपनी मर्जी से वह क्रिश्चियन बनी। वह आसानी से किसी पुरुष पर यकीं नहीं करती। बेशक वह बाहर से अपने आपको बेहद मजबूत दिखाती है, पर अंदर से वह आज भी डरी रहती है। आज भी सोते समय डर लगता है कि कहीं यह सब एक सपना तो नहीं, कल सुबह खाली पेट तो उठना नहीं पड़ेगा?