देश ने टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया है।
वैज्ञानिकों ने स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल के साथ आईएमआरवी तकनीक को एकीकृत किया है, जिसके बाद एक ही अग्नि-5 मिसाइल विभिन्न लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए कई हथियार ले जाने में सक्षम होगी।
देश में सोमवार को पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण हुआ। इस कामयाब परीक्षण के साथ ही पूरा पाकिस्तान और चीन अब भारतीय मिसाइलों के जद में आ गया है।
अग्नि-5 के इस कामयाब परिक्षण पर इंडियन स्पेस एसोसिएशन के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट (रिटायर्ड) समेत कई विशेषज्ञों ने खुशी जाहिर की और इसे भारत के लिए गर्व की बात बताया।
अग्नि-5 मिसाइल टेस्ट पर चीनी जहाज ने रखी नजर: विशाखापट्टनम के तट से 500 किमी दूर तैनात किया; परीक्षण से ठीक एक दिन पहले पहुंचा #Agni5 #china #Missile https://t.co/UXcHN6hHzQ pic.twitter.com/DTu9rCKYKp
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) March 12, 2024
5000 किमी की मारक क्षमता वाले अग्नि-5 को लंबी दूरी की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) श्रेणी में स्थान मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर एमआईआरवी तकनीक से लैस मिसाइल पर वैज्ञानिकों को बधाई दी।
भारतीय आईएमआरवी मिसाइल को देश की सैन्य अनुसंधान शाखा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है।
गौरतलब है कि अमरीका ने साल 1970 में ही एमआईआरवी तकनीक विकसित कर ली थी और अब भारत भी उस ग्रुप का हिस्सा बन गया है, जिन देशों के पास एमआईआरवी तकनीक है।