एक नए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में हीटवेव के क्षेत्र में विस्तार हुआ है। इस समय देश का करीब 90 फीसदी हिस्सा लू चपेट में है। मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इन परिस्थितियों के चलते 2030 तक देश अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 % से 4.5 % प्रति वर्ष का नुकसान उठा सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक़ दिल्ली विशेष रूप से गंभीर हीटवेव प्रभावों के प्रति संवेदनशील है। स्टडी से ये भी खुलासा हुआ है कि दिल्लीवासियों के लिए हालात खतरनाक हैं।
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के पूर्व सचिव एम राजीवन के मुताबिक़ भारत में बीते 50 सालों में हीटवेव के कारण 17,000 लोगों की जान जा चुकी है। इससे पूर्व मार्च 2022 अब तक का सबसे गर्म और 121 वर्षों में तीसरा सबसे सूखा वर्ष था। इस साल 1901 के बाद से देश का तीसरा सबसे गर्म अप्रैल नोटिस किया गया है।
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— लेटेस्टली हिंदी (@LatestlyHindi) April 20, 2023
अध्ययन के मुताबिक़ 90 फीसदी से अधिक भारत हीट इंडेक्स के माध्यम से हीटवेव प्रभावों की बेहद सतर्क या खतरे की श्रेणी में है। इन हालत को देखते हुए चेतावनी दी गई है कि अगर भारत गर्म हवाओं के प्रभाव को दूर करने में विफल होता है तो यह देश के विकास लक्ष्यों को पाने की दिशा में प्रगति को धीमा कर सकता है। गौरतलब है कि इसी सप्ताह नवी मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के एक पुरस्कार समारोह में हीटस्ट्रोक के कारण 13 लोगों की मौत हो गई थी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस महीने की शुरुआत में उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम गर्मी की संभावना जताई थी।