मॉस्को, । द्वितीय विश्वयुद्ध के 72 साल बाद 10 देशों के 1200 सैनिक फिर जुटे. 72 साल पहले हुए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्व सोवियत संघ और नाजियों के बीच ऐतिहासिक बर्लिन की जंग की याद रविवार को फिर ताजा हो गई। मॉस्को के कुबिन्का स्थित पेट्रिओट पार्क में राइकस्टैग की प्रतिकृति बनाई गई और 10 देशों के 1200 सैनिकों ने इसे आग के हवाले कर जीत का उत्सव मनाया। मालूम हो, बर्लिन की जंग 1945 में 16 अप्रैल से शुरू होकर 2 मई तक चली थी।
द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 से 2 सितंबर 1945 तक चला। इसमें लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाओं ने भाग लिया। 1939 से 1945 के बीच करीब 34 लाख बम गिराए गए। यानी प्रतिमाह औसतन 27,700 बम। अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में 8 सितंबर 1941 को शामिल हुआ। तब अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट थे। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बंटा हुआ था। मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह मानव इतिहास का सबसे ज्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस युद्ध के दौरान ही भारतीय धार्मिक प्रतीक चिन्ह स्वस्तिक का प्रयोग नाजी सेना ने किया। इसमें 5 से 7 करोड़ व्यक्तियों की जानें गई क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)।
इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। भारत भी था शामिल दूसरे विश्वयुद्ध के समय भारत पर अंग्रेजों का कब्जा था। इसलिए आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाजी जर्मनी के विरद्ध 1939 में युद्ध की घोषणा कर दी। ब्रिटिश राज (गुलाम भारत) ने एक लाख से अधिक सैनिक युद्ध के लिए भेजे। इन्होंने ब्रिटिश नियंत्रण के अधीन धुरी शक्तियों के विरद्ध युद्ध लड़ा। सभी देसी रियासतों ने युद्ध के लिए बड़ी मात्रा में अंग्रेजों को धनराशि दी।
राइकस्टैग शब्द का इस्तेमाल जर्मन की संसद के लिए इस्तेमाल होता है। बर्लिन में स्थित इस राइकस्टैग इमारत को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आग के हवाले कर दिया गया था। 1854 में बनी इस इमारत में 1933 तक संसद रही। इसके बाद लगाई गई आग में यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। रूस ने हाल ही में मॉस्को के मिलिट्री थीम पार्क में राइकस्टैग की प्रतिकृति भी बनाई थी, ताकि बच्चों में देशभक्ति की भावना जाग सके।