नई दिल्ली, डीएनए टेस्ट में राज़ खुलने पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला सदस्य की कुर्सी छीन ली. एक महिला ने पंचायत सदस्य की अपनी कुर्सी बचाने के लिए अपने ही तीसरे बच्चे को अपना मानने से इंकार कर दिया. लेकिन, डीएनए टेस्ट से राज खुल गया और आखिरकार महिला का चुनाव रद्द हो गया. जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने महिला की अर्जी डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने अनिता एकनाथ हटकर की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने खुद को डिसक्वालिफाई करने की प्रक्रिया को चुनौती दी थी. पंचायत सदस्य के तौर पर उसके चयन को इसी आधार पर खारिज किया गया था कि उसके तीन बच्चे हैं. नियम के मुताबिक अगर चुनाव नोटिफिकेशन के बाद किसी उम्मीदवार के तीसरा बच्चा होगा तो उसका चुनाव रद्द हो जाएगा.
दरअसल, हटकर को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के छिछोन्दी पंचायत गांव से पंचायत सदस्य चुना गया था. अहमदनगर के अतिरिक्त कलेक्टर ने उनके खिलाफ आई शिकायत को खारिज कर दिया था लेकिन हाई कोर्ट ने उनके चुनाव को रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
शिकायतकर्ता प्रह्लाद अहवाद के वकील ने अदालत से एकनाथ हटकर का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की. डीएनए टेस्ट हुआ और जब रिपोर्ट आई तो पता चला कि बच्चा हटकर और उसके पति का ही है. इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला की अर्जी खारिज कर दी.