सऊदी अरब की लगभग सभी ऑयल फ़ील्ड्स, जो संसार का क़रीब दस प्रतिशत तेल पैदा करती हैं, आग की रेंज में आ चुकी हैं और हालिया दिनों में उन पर हवा, समुद्र और ज़मीन से हमले हो रहे हैं।
ब्लूमबर्ग मीडिया ने अपनी एक समीक्षा में लिखा है कि फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र में तनाव बढ़ने से संसार में तेल के सबसे बड़े भंडारों, तेल प्रतिष्ठानों, तेल टैंकरों और रिफ़ाइनरियों पर ड्रोनों या मीज़ाइलों इत्यादि से हमले होने लगे हैं। इस बात के दृष्टिगत कि सऊदी अरब की आरामको तेल कंपनी संसार की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी है, सऊदी अरब के तेल उत्पादन और तेल प्रतिष्ठानों पर हमले, पूरे संसार में तेल निर्यात के लिए एक बड़ा ख़तरा है। सऊदी अरब के पास 257 अरब बैरल तेल का भंडार है।
आरामको तेल कंपनी प्रतिदिन 1 करोड़ बीस लाख बैरल तेल का उत्पादन कर सकती है और इस समय वह 70 लाख बैरल तेल हर दिन निर्यात कर रही है जो संसार की किसी भी तेल कंपनी से अधिक है और इससे एक प्रभावी तेल उत्पादक कंपनी के रूप में उसकी भूमिका का पता चलता है। आरामको की ऑयल फ़िल्ड्स की सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय मंडियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आरामको का लगभग तीन चौथाई उत्पादन, चार मुख्य ऑयल फ़ील्ड्स से होता है जिनके नाम हैं, ग़ेवार, ख़वारीस, सफ़्फ़ानिया और शैबा। ये चारों ऑयल फ़ील्ड्स पूर्वी सऊदी अरब में हैं और इनका अधिकतर तेल हुर्मुज़ स्ट्रेट से गुज़रता है। इनमें से हर एक के बारे में संक्षिप्त ब्योरा इस प्रकार है।
इस ऑयल फ़ील्ड की उत्पादन क्षमता 38 लाख बैरल प्रतिदिन है और यह हल्का तेल पैदा करती है। अप्रैल के आंकड़ों के अनुसार इस ऑयल फ़ील्ड ने आरामको के आधे से अधिक कच्चे तेल की पम्पिंग की है।
यहां हर दिन साढ़े 14 लाख बैरल हल्का तेल पैदा किया जाता है। आरामको ने पिछले साल इस ऑयल फ़ील्ड के विस्तार की परियोजना पूरी की है ताकि इसकी क्षमता में बारह लाख बैरल प्रतिदिन की वृद्धि की जा सके।
इस ऑयल फ़ील्ड की गुंजाइश 13 लाख बैरल प्रतिदिन है और यहां भारी तेल का उत्पादन होता है। आरामको का कहना है कि सफ़्फ़ानिया संसार में जानी पहचानी ऑयल फ़ील्ड्स में सबसे बड़ी है और इसका एक भाग सऊदी अरब और कुवैत के बीच मुक्त क्षेत्र में है और दोनों देशों की उसमें साझेदारी है। पिछले चार साल से यहां प्रतिदिन पांच लाख बैरल का उत्पादन रुका हुआ है।
इस ऑयल फ़ील्ड में प्रतिदिन दस लाख बैरल हल्का तेल का उत्पादन होता है और हाल ही में यमनी बलों ने इस पर हमला किया है। इस ऑयल फ़ील्ड में 14.3 अरब बैरल तेल का भंडार है और यह 645 किलो मीटर लम्बी एक तेल पाइप लाइन के माध्यम से तेल निर्यात के मुख्य स्टेशनों से जुड़ी हुई है।
सऊदी अरब कुछ बरस पहले तक मध्यपूर्व के सबसे सुरक्षित देशों में से एक था और इराक़ के तानाशाह सद्दाम द्वारा उस पर किए गए एक मीज़ाइल हमले को छोड़ कर उस पर हमले की दूर दूर तक कोई घटना दिखाई नहीं देती। सऊदी अरब के युवराज मुहम्मद बिन सलमान जबसे व्यवहारिक रूप से इस देश के शासक बने हैं (क्योंकि वास्तविक नरेश अत्यधिक बीमार और मानसिक रोगों में ग्रस्त हैं) तबसे सऊदी शासकों ने बड़ी आत्मघाती नीतियां अपनाई हैं। उन्होंने सीरिया व बहरैन में बुरी तरह से हस्तक्षेप किया और यमन पर तो युद्ध ही थोप दिया। इन नीतियों के परिणाम स्वरूप सऊदी अरब को बहुत अधिक नुक़सान उठाना पड़ा है। आंतरिक और बाहरी दोनों स्तर पर उसकी सुरक्षा ख़तरे में पड़ गई है। उसके लिए जीवनदाता का दर्जा रखने वाले उसके तेल उद्योग पर ख़तरे मंडराने लगे हैं।
उसका तेल निर्यात सवा करोड़ बैरल प्रतिदिन से घट कर सत्तर लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया। इसके अलावा उसकी इन विध्वंसक नीतियों से क्षेत्रीय देशों और अंतर्राष्ट्रीय मंडियों को भी भारी नुक़सान पहुंच रहा है। अगर सऊदी अरब के अनुभवहीन शासकों ने जल्द ही तर्कसंगत नीतियां नहीं अपनाईं और सच्चे दोस्त व दुश्मन को न पहचाना तो इस देश को जो नुक़सान होगा उसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं होगी। (HN)