लखनऊ: बसपा मुखिया मायावती ने सपा-कांग्रेस गठबंधन को नापाक करार देते हुए कहा है कि यह अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी को ही फ़ायदा पहुंचाने की एक साज़िश है, जो भाजपा के इशारे पर बसपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए किया गया है। इससे जनता को सतर्क रहने की जरूरत है। Samajwadi
पार्टी सुप्रीमो ने रविवार को जारी एक बयान में कहा है कि इस नुमाइशी गठबंधन को भाजपा को यहां सत्ता में आने से रोकने के लिए उठाया गए कदम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, पर यह पूरी तरह से छलावा है।
सपा के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह के बयानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि सपा का नेतृत्व सीबीआई के मार्फत भाजपा के शिकंजे में है।
यह बात स्वयं मुलायम बार-बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। इसके अलावा सपा और बीजेपी की आपसी मिलीभगत भी किसी से छिपी नहीं रही है।
राज्य में सपा सरकार में काम कम और अपराध व साम्प्रदायिक दंगे ही ज़्यादा बोलते रहे हैं। फिर भी कांग्रेस पार्टी मुंह की खाने को तैयार है तो इसे अवसरवाद की राजनीति नहीं तो और क्या कहा जायेगा?
व्यापक अराजक व जंगलराज के कारण सपा सरकार का मुखिया एक दागी चेहरा घोषित हुआ, पर अब कांग्रेस उसी जंगलराज व अराजकता वाली पार्टी व उसके दागी चेहरे को अपना चेहरा बनाकर व उसके आगे घुटने टेक कर गठबंधन करके यहां विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। यह बसपा के खिलाफ साज़िश नहीं तो और क्या है?
मायावती ने कहा कि मुज़फ्फरनगर दंगों की दोषी सरकार के साथ कांग्रेस का गठबंधन उसी प्रकार से घिनौनी राजनीति है जैसा कि वर्ष 2002 के गुजरात में मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित भीषण साम्प्रदायिक दंगे की सरकार को सब कुछ माफ करके उसके साथ समझौता करके चुनाव लड़ना।
ऐसा करके कांग्रेस ने प्रदेश में उसके अपने शासनकाल में हुए भीषण मुरादाबाद व मेरठ के हाशिमपुरा-मलियाना आदि दंगों की भी याद लोगों के ज़ेहन में ताज़ा कर दी है।
उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक दंगों के मामलों में बीजेपी, कांग्रेस व सपा सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे बने हुए है, जबकि इन दंगों में जान-माल व मज़हब का असली नुक़सान हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों की ग़रीब जनता का ही होता है।