भारतीय रिजर्व बैंक ने जुर्माने के नियमों में बदलाव करते हुए उन्हें और सख्त बना दिया है। अब भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम के तहत 10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इन नए नियमों का उद्देश्य डिजिटल भुगतान प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाना और वित्तीय क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखना है।
भारतीय रिजर्व बैंक के तहत लागू किए गए नए नियमों से बैंकों और भुगतान सेवा कंपनियों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यदि भुगतान प्रणाली बिना अनुमति के संचालित किया गया और गोपनीय जानकारी लीक होती है या समय पर जुर्माना नहीं भरा जाता, तो इसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे में भारी दंड लगाया जा सकता है।
आरबीआई के नए नियम
आरबीआई ने अपनी प्रवर्तन कार्रवाई को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं-
- लाइसेंस के बगैर भुगतान सेवाओं का संचालन अपराध माना जाएगा।
- प्रतिबंधित अथवा गोपनीय जानकारी का खुलासा करना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
- निर्धारित समय में आरबीआई द्वारा लगाया गया जुर्माना नहीं भरा गया, तो दंड लगेगा।
जुर्माने की नई सीमा
आरबीआई के पास अभी तक अधिकतम 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार था। लेकिन जन विश्वास अधिनियम, 2023 के लागू होने के बाद, इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये या उल्लंघन से जुड़ी राशि का दोगुना (दोनों में जो भी ज्यादा हो) कर दिया गया है। याद रहे कि यह बदलाव 22 जनवरी, 2024 से प्रभावी हो गया है।
बैंक या भुगतान सेवा कंपनी द्वारा नियमों का लगातार उल्लंघन किए जाने पर पहले लगे जुर्माने के बाद भी हर दिन 25,000 रुपये तक का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है। यह दंड तब तक जारी रहेगा जब तक उल्लंघन को सही नहीं किया जाता।
आरबीई ने स्पष्ट किया है कि ऐसे अपराध जिनमें जेल की सजा का प्रावधान है, वे समझौता योग्य नहीं होंगे। केवल वे मामले जो भौतिक उल्लंघनों से जुड़े हैं, उनमें जुर्माने को कम करने या समझौता करने का विकल्प दिया जाएगा।