एक अध्ययन में पाया गया है कि अत्यधिक वजन में उतार-चढ़ाव से दिल की बीमारी से ग्रस्त मोटे लोगों में मृत्यु का खतरा काफी बढ़ जाता है।
एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय द्वारा किए गए इस शोध में यूके बायोबैंक अध्ययन के भाग के रूप में भर्ती किए गए 8,297 प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया गया। इन लोगों का लगभग 14 वर्षों तक अध्ययन किया गया, जिसके दौरान पाया गया कि वजन घटने के साथ-साथ वजन बढ़ने से भी जोखिम का स्तर बढ़ता है।
शोध से यह जानकारी सामने आई कि जिन लोगों ने अध्ययन अवधि में 10 किलोग्राम यानी 22 पाउंड से अधिक वजन बढ़ाया, उनमें हृदय संबंधी मृत्यु के जोखिम में तीन गुना वृद्धि देखी गई। दूसरी तरफ स्थिर वजन बनाए रखने वालों की तुलना में सभी कारणों से मृत्यु दर का जोखिम लगभग दोगुना था।
हृदय रोग से ग्रस्त मोटे लोगों में वजन परिवर्तन और मृत्यु दर के संबंधों की जांच करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है।
यह भी पाया गया कि 10 किलोग्राम (22 पाउंड) से अधिक वजन कम होने से सभी कारणों से मृत्यु दर का 54 फीसद अधिक जोखिम से जुड़ा था, जिसके बारे में लेखकों ने सुझाव दिया कि वजन में बदलाव के दोनों चरम हानिकारक हो सकते हैं।
इस संबंध में प्रमुख लेखक डॉक्टर जुफेन झांग ने कहा कि डॉक्टरों को इन निष्कर्षों को ध्यान में रखना चाहिए, विशेषकर ऐसे समय में जब बाजार में तेजी से वजन घटाने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं।
इस रिपोर्ट के ज़रिए यह बात भी सामने आई कि यह हृदय रोग से ग्रस्त मोटे लोगों में वजन में परिवर्तन और मृत्यु दर के बीच संबंधों की जांच करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है।
मोटापे के हवाले से इंग्लैंड का एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण बताता है कि देश में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या 1993 में 15% से बढ़कर 2022 में 29% हो गई है और 35 वर्ष से अधिक आयु के दो-तिहाई से अधिक लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त माने जाते हैं।