नई दिल्ली। आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से बिगड़े कश्मीर के हालात को काबू में करने के लिए बुधवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह घाटी जाएंगे, वहीं इससे पहले घाटी में 11 साल बाद बीएसएफ जवानों की तैनाती कर दी गई है। केंद्र की ओर से 2600 जवान सुलगते कश्मीर को शांत करने पहुंचे हैं। जानकारी के मुताबिक, राजनाथ सिंह कश्मीर के लिए बुधवार को दिल्ली से रवाना होंगे। उनका यह कश्मीर दौरा दो दिनों का होगा। बताया जाता है कि राजनाथ सिंह वहां जाकर प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं से कश्मीर में उपजी हिंसा को लेकर बातचीत करेंगे।
घाटी में 46 दिनों से हिंसा जारी
कश्मीर घाटी में हिंसा के 46 दिन बीत जाने के बाद भी अबतक पर शांति बहाली नहीं हो पाई है। घाटी में शांति बहाली के सिलसिले में राजनाथ सिंह बुधवार से दो दिवसीय यात्रा में रहेंगे। गृह मंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली से बुधवार सुबह रवाना होंगे और इस दौरे के दौरान वह कश्मीर के हालात पर समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही राजनाथ सिंह समाज के अलग-अलग वर्गों के साथ बातचीत भी करेंगे।
राज्य के साथ भावनात्मक रिश्ता चाहता है केंद्र
दरअसल गृह मंत्री ने कहा था कि केंद्र राज्य के साथ एक भावनात्मक रिश्ता चाहता है न कि सिर्फ जरूरत पर आधारित रिश्ता बल्कि राज्य के साथ केंद्र सतत रिश्ता रखना चाहता है। राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा था ‘जहां तक भारत सरकार की बात है, मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम लोग केवल जरूरत के आधार पर संबंध नहीं चाहते हैं, बल्कि कश्मीर के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बनाना चाहता’। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्ष के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां की स्थिति पर अपनी गहरी चिंता और दुख व्यक्त किया था, और जम्मू-कश्मीर में समस्याओं का एक स्थाऊ और टिकाऊ समाधान ढूंढने में राजनीतिक दलों से मिलकर काम करने की अपील की थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार की मौजूदा कश्मीर नीति में कई बदलाव दिखाई दे रहे हैं। गृह मंत्रालय ने कश्मीर में 12 साल बाद वहां की कानून और व्यवस्था के लिए BSF को तैनात किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 26 कंपनियां पहले से ही तैनात की गयी है और 30 कंपनियां आने वाले समय में तैनात किया जाएगा। यही नहीं, गृह मंत्रालय अब सिविल सोसाइटी के लोगों के जरिए कश्मीर घाटी में अलग-अलग मुद्दों को लेकर एक डेलीगेशन भेजने का प्लान कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार तक दिल्ली का सिविल सोसाइटी का एक दल कश्मीर में वहां के शिक्षित और सभ्य लोगों से मुलाकात कर पत्थर फेंकने वाले युवाओं के लिए एक तरीके का संदेश दिए जाने की उम्मीद है। यही नहीं, सरकार आर्थिक पैकेज जो कश्मीर के लिए देना है उसके लिए भी जल्द ही कदम उठा सकती है।
2005 में सीआरपीएफ ने ली थी बीएसएफ की जगह
इससे पहले 90 के दशक में कश्मीर में आतंक रोधी अभियान के तहत घाटी में बीएसएफ को तैनात किया गया था। स्थानीय लोगों के मन में बीएसएफ की छवि एक आक्रामक और क्रूर बल की है। 2005 में बीएसएफ की जगह सीआरपीएफ को कश्मीर में कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर तैनात किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में मदद के लिए शहर के लाल चौक और आसपास के इलाकों में बीएसएफ कर्मियों को तैनात किया गया है।
25 अगस्त तक अलगाववादियों का प्रदर्शन और बंद
दूसरी ओर, अलगाववादियों ने घाटी में अपने विरोध प्रदर्शन और बंद को 25 अगस्त तक बढ़ा दिया है। लिहाजा, इलाके के सभी स्कूल-कॉलेज, बाजार, सार्वजनिक परिवहन और दूसरे व्यापार बंद हैं। पुराने श्रीनगर और अनंतनाग में कर्फ्यू जारी है, जबकि कुलगाम, शोपियां, पुलवामा, बारामूला, बांदीपुरा, कुपवाड़ा और बडगाम में भी पाबंदी लगाई गई है। कश्मीर हिंसा में अब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी है।