राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने किताबों में चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी से जुड़े इतिहास में बदलाव किया है। बोर्ड ने कक्षा 12 की इतिहास की किताब से उस किस्से को हटा दिया गया है जिसमें कहा गया था कि अलाउद्दीन खिलजी ने पद्मिनी को शीशे में देखा था।
बता दें कि पद्मिनी से जुड़ा यह किस्सा ‘मुगल आक्रमण: प्रकार और प्रभाव’ के सेक्शन पद्मिनी की कहानी में था। हालांकि अब इसे हटा दिया गया है। बोर्ड ने फिल्म पद्मावत को लेकर हुए बवाल के बाद यह फैसला लिया। अब नई किताबों में पद्मिनी की कहानी को बदल दिया गया है।
दरअसल साल 2017 की इतिहास के किताब में लिखा गया था, ‘आठ वर्ष तक घेरा डालने के बाद सुल्तान जब चित्तौड़ को नहीं जीत पाया तो उसने एक प्रस्ताव रखा कि यदि उसे पद्मिनी का प्रतिबिंब ही दिखा दिया जाए तो वह दिल्ली लौट जाएगा।
किताब में आगे लिखा गया था, ‘राणा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। दर्पण में पद्मिनी का प्रतिबिंब देखकर जब अलाउद्दीन वापस लौट रहा था, उस समय उसने रतन सिंह को कैद कर लिया और रिहाई के बदले में पद्मिनी की मांग की।
वहीं साल 2018 के नए संस्करण में अब लिखा गया है, ‘आठ वर्ष तक घेरा डालने के बाद जब सुल्तान चित्तौड़ को नहीं जीत पाया उसने संधि प्रस्ताव के बहाने धोखे से रतन सिंह को कैद कर लिया और रिहाई के बदले में पद्मिनी की मांग की।
नए संस्करण में एक नई लाइन भी जोड़ी गई है। इसमें यह लिखा गया है कि पद्मिनी का विवरण साल 1540 में लिखी गई मलिक मुहम्मद जायसी के किताब पद्मावत के अनुसार है।