नई दिल्ली। तेजी से बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई के सूचकांक पर भी असर दिखाया है। दिसंबर में पेट्रोल डीजल की बढ़ी हुई कीमतों और मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के चलते थोक महंगाई दर 3.39 फीसद हो गई। Petrol diesel
हालांकि इस दौरान सब्जियों की कीमतों में गिरावट का क्रम बना रहा। थोक मूल्यों में हुई वृद्धि के चलते थोक महंगाई दर में गिरावट का क्रम रुक गया।
इसका असर आठ फरवरी को रिजर्व बैंक की कर्ज नीति की समीक्षा में भी दिख सकता है।
माना जा रहा है कि ईंधन और मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कमी करने से बच सकता है।
नवंबर 2016 में थोक महंगाई की दर 3.15 फीसद थी। जबकि दिसंबर 2015 में थोक महंगाई की दर शून्य से 1.06 फीसद कम रही थी।
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी थोक महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के दिसंबर के मुकाबले आलोच्य अवधि में डीजल की कीमतों में 20.25 फीसद का इजाफा हुआ।
जबकि पेट्रोल की कीमतें 8.52 फीसद बढ़ीं। इनके चलते दिसंबर में फ्यूल व पावर सेगमेंट का सूचकांक 8.65 फीसद हो गया। ईंधन के अलावा दिसंबर में चीनी, आलू, दाल और गेहूं की कीमतों में भी वृद्धि हुई।
इसके विपरीत दिसंबर 2016 में सब्जियों की कीमतों में 33.11 फीसद की कमी दर्ज की गई। यह लगातार चौथा महीना है जब सब्जियों की कीमतों में कमी आई है। सब्जियों के साथ-साथ प्याज की कीमतों में भी 37.20 फीसद की कमी दर्ज की गई है।
जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि भविष्य में महंगाई घटने की संभावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
इसके अलावा पिछले एक महीने से रुपया के मुकाबले मजबूत हो रहे डॉलर ने भी उद्योगों की लागत को बढ़ाया है। एसोचैम का मानना है कि इससे कंपनियों के मुनाफे पर भी नकारात्मक असर हो रहा है।
साथ ही इस बात की आशंका भी गहराती जा रही है कि सब्जियों की कीमतों में गिरावट का सिलसिला थमते ही थोक महंगाई की दर में वृद्धि की रफ्तार और तेज हो सकती है।