नई दिल्ली. पैराडाइज पेपर्स में नाम आने पर केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने रविवार को ट्वीट्स कर अपनी सफाई दी है। इनमें लिखा कि मंत्री बनने से पहले उन्होंने डी.लाइट कंपनी छोड़ दी थी। बता दें कि ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक, जयंत सिन्हा और अमिताभ बच्चन समेत 714 भारतीयों ने टैक्स हेवंस कंट्रीज में इन्वेस्टमेंट किया है। रिपोर्ट में 180 देशों को शामिल किया गया है, इसमें शामिल नामों के लिहाज से भारत 19वें पायदान पर है।
जयंत सिन्हा ने अपनी सफाई में 5 ट्वीट किए
1) “मैं पूरा डिटेल इंडियन एक्सप्रेस को मुहैया करा चुका हूं। यह बेहद प्रतिष्ठित और व्यावहारिक रूप से किए गए कानूनी लेन-देन थे। दुनिया की लीडिंग ऑर्गनाइजेंशंस में ओमिडयार नेटवर्क में पार्टनर और डी.लाइट बोर्ड में इसके डेजिग्नेटेड रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर मेरी सार्थक भूमिका थी।”
2) “ये सभी ट्रांजैक्शन जरूरी जानकारियों के साथ संबंधित अथॉरिटीज के सामने उजागर किए गए थे।”
3) “ओमिडयार कंपनी छोड़ने के बाद मुझे डी.लाइट बोर्ड में एक इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर में काम जारी रखने के लिए भी कहा गया था।”
4) “केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने के वक्त मैंने डी.लाइट कंपनी बोर्ड से फौरन इस्तीफा दे दिया था और कंपनी के साथ अपनी भागीदारी को खत्म कर दिया था।”
5) “यह ध्यान देने वाली बात है कि यह लेन-देन डी.लाइट कंपनी के लिए एक ओमिडीयार रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर किए गए थे। यह निजी फायदों के लिए किया गया लेन-देन नहीं था।”
बाद में इस मुद्दे पर न्यूज एजेंसी से सिन्हा ने कहा, “मैंने अपने लिए नहीं कंपनी के लिए किया था। जब मैं राजनीति में था भी नहीं। सब कुछ डिस्क्लोज किया गया था।”
जयंत सिन्हा का नाम लिस्ट में क्यों आया?
पैराडाइज पेपर्स के मुताबिक, सिन्हा ने सितंबर 2009 में बतौर डायरेक्टर ओमिडयार नेटवर्क ज्वाइन किया था। वे बतौर लीगल एक्सपर्ट कंपनी को अपनी सर्विस दे रहे थे। उन्होंने दिसंबर 2013 में इस्तीफा दिया था।
इस कंपनी ने डि.लाइट डिजाइन में इन्वेस्ट किया और इसके लिए उसने इकैमन द्वीप की सब्सिडियरी के जरिए नीदरलैंड्स के एक इन्वेस्टर से 30 लाख डॉलर का लोन लिया था।
बरमूडा की कंपनी Appleby के रिकॉर्ड में कहा गया है कि लोन एग्रीमेंट 31 दिसबंर 2012 को हुआ था। जब यह फैसला किया गया तब जयंत सिन्हा डि.लाइट डिजाइन के डायरेक्टर थे।