सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और ट्रैफिक जाम की समस्या से छुटकारे के लिए अब देश के ज्यादातर शहरों में जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएंगे।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अन्य राज्य सरकारों के साथ मिलकर ऐसी ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली लागू करने पर विचार कर रहा है जो एआई-संचालित हो।
ट्रैफिक में एआई सिस्टम के उपयोग पर पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर सुब्रतो दास का कहना है कि भारत की यातायात प्रबंधन प्रणाली में इससे बड़ा बदलाव आ सकता है।
इस ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली का उद्देश्य पूरे देश में ट्रैफिक प्रवाह को सुगम बनाने के साथ सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना है। इस सिस्टम की सहायता से उन्नत ट्रैफिक सिग्नल नियंत्रण के साथ रीयल टाइम में भीड़भाड़ का पता लगाने तथा कैमरा सिस्टम का उपयोग करके नियमों के उल्लंघन की स्वचालित निगरानी की जा सकेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित इस ट्रैफिक मॉनिटरिंग में कैमरों, सेंसर और आईओटी डिवाइस के सहयोग से रीयल-टाइम डेटा का इस्तेमाल करते हुए सड़क की स्थिति का जायज़ा लिया जाता है।
हाईटेक कंप्यूटर विजन और डीप लर्निंग एल्गोरिदम इन असामान्य ट्रैफिक पैटर्न के अलावा दुर्घटना एवं रुके हुए वाहनों की पहचान करने के लिए इस डेटा को प्रोसेस करते हैं। यहाँ पर सिस्टम की मदद से मामूली धीमी गति और गंभीर व्यवधानों के बीच के अंतर का पता लगाया जा सकता है।
एआई सिस्टम ड्राइवरों को वैकल्पिक मार्ग के प्रस्ताव देकर सक्रिय ट्रैफिक प्रबंधन का भी समर्थन करते हैं। जिससे भीड़ कम करने में मदद मिलती है।
खास बात यह है कि मशीन में लर्निंग मॉडल पिछली घटनाओं और ट्रैफिक रुझानों से सीखकर अपनी गुणवत्ता को और भी सुधारते हैं। जिससे सड़क सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
डॉक्टर दास के मुताबिक़, एआई निश्चित रूप से सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और सड़कों पर भीड़ को कम करने में मदद कर सकता है। आगे वह बताते हैं कि एआई ब्लैक स्पॉट का अध्ययन करने के साथ आपात स्थिति में अस्पतालों और संबंधित डॉक्टरों के बारे में सटीक जानकारी देने में सक्षम है। इसके अलावा यह निकासी प्रक्रिया में भी सहायक है।
डॉक्टर दास का कहना है कि यह डेटा संग्रह में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उनके मुताबिक़ यदि एनसीआरबी के सड़क दुर्घटना डेटा को देखें, तो यह केवल 2022 तक ही उपलब्ध है।
भारत में इस प्रणाली पर आधारित शहरों की बात करें तो दिल्ली, चंडीगढ़, पुणे, बेंगलुरु, कोलकाता की गिनती उन शहरों में होती है जहाँ एआई-आधारित यातायात प्रबंधन प्रणाली पहले से ही काम कर रही है। वह बताते हैं कि 2021 से 2023 के मध्य इस एआई सिस्टम द्वारा 13 लाख से अधिक उल्लंघनों की पहचान की गई है।
इतना ही नहीं मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर एआई सिस्टम रीयल टाइम में यातायात उल्लंघनों का पता लगाता है साथ ही पुलिस के प्रयासों में मदद करने के अलावा दुर्घटनाओं में कमी लाने में योगदान देता है।
गौरतलब है कि बेंगलुरु में 165 चौराहों पर अनुकूल यातायात नियंत्रण प्रणाली लागू है। इस सिस्टम का एआई एल्गोरिदम वाहनों की संख्या की निगरानी करने के साथ सिग्नल टाइमिंग में सुधार करता है।
बताते चलें कि सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा 2024-25 तक सुधार के लिए 13,795 दुर्घटना संभावित ब्लैक स्पॉट की पहचान की है। इनमें से 4,777 ब्लैक स्पॉट को दिसंबर 2024 तक स्थायी उपायों के माध्यम से सुधारा गया है, जबकि 9,525 ब्लैक स्पॉट पर अल्पकालिक सुधार उपाय किए गए हैं।