फ्रांस में प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। यह प्रस्ताव वामपंथी नेता मरीन ले पेन द्वारा पेश किया गया था, जिनके पास विधानसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं था।
फ्रांसीसी सांसदों ने कल प्रधान मंत्री मिशेल बार्नियर की तीन महीने पुरानी सरकार को गिराने का कदम उठाया। ऐसा छह दशकों में पहली बार हुआ है जब निचले सदन ने किसी सरकार को उखाड़ फेंका। इससे पहले 1962 में अविश्वास प्रस्ताव पर फ्रांस सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था।
गौरतलब है कि फ्रांस में तीन महीने पहले ही आम चुनाव हुए थे। इन चुनावों में कोई भी दल बहुमत पाने में कामयाब नहीं हो सका। सरकार का नेतृत्व माइकल बार्निये ने मरीन ली पेन की पार्टी के समर्थन से गठबंधन द्वारा संभाला। ऐसे में अब अगले वर्ष के बजट को लेकर बात बिगड़ी और सोमवार को बर्निये सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया।
प्रधान मंत्री बार्नियर ने विधानसभा की मंजूरी के बिना विशेष अधिकार के तहत बजट लागू किया था, जिसपर विपक्ष का कहना था कि बार्नियर बजट को लेकर हमारी मांगों को सुनने में विफल रहे।
नेशनल रैली पार्टी के नेता मरीन ले पेन ने कहा कि बार्नियर को बर्खास्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इस कार्यवाई में बर्निये की गठबंधन सरकार गिर गई और मरीन ली पेन की पार्टी ने भी समर्थन मिला।
577 सदस्यीय सदन में 331 सांसदों के बहुमत ने धुर दक्षिणपंथ समर्थित सरकार को हटाने के लिए मतदान किया। वोट के बाद स्पीकर ने पुष्टि की कि बार्नियर को अब मैक्रॉन को अपना इस्तीफा देना होगा।
मैक्रॉन इन दिनों आधिकारिक यात्रा पर सऊदी अरब में हैं। इस राजनीतिक फेर-बदल के चलते उन्हें आपातकालीन कारणों से वापस लौटना पड़ा।
इन हालात में बर्निये की सरकार गिरने के कारण राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनसे भी इस्तीफा देने की मांग की जा रही है मगर राष्ट्रपति मैक्रॉन ने इस्तीफ़ा देने से इनकार कर दिया है।