विशाखापट्टनम. देश में बना एंटी सबमरीन वॉरशिप आईएनएस किल्तान नेवी में कमीशन शामिलडिफेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने सो. मवार को नेवी के एंटी सबमरीन वॉरशिप INS किल्तान को नेवी में कमीशन दिलाया। किल्तान वॉरशिप को देश में ही बनाया गया है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये दुश्मन की किसी भी सबमरीन को चंद मिनट में ही निशाना बनाकर उन्हें तबाह कर सकता है। इस स्टील्थ वॉरशिप का नाम लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप समूह के करीब पड़ने वाले एक छोटे से द्वीप (islands) के नाम पर रखा गया है।
शिवालिक क्लास का तीसरा वॉरशिप
आईएनएस किल्तान ईस्टर्न नेवल कमांड के पास रहेगा और कमीशन के पहले ही दिन से यह अपनी जिम्मेदारी संभाल सकता है। देश में बने शिवालिक क्लास के वॉरशिप में इसका नंबर तीसरा है। इसके पहले आईएनएस कर्मोता और आईएनएस कदमत इंडियन नेवी को सौंपे जा चुके हैं।
तीनों ही वॉरशिप में नेवी के हथियार मौजूद रहेंगे। इसके अलावा इन तीनों वॉरशिप की एक खूबी इन्हें यूनीक बनाती है। दरअसल, इनमें हाईटेक सेंसर्स लगे हैं जो कॉमन ऑपरेशनल पिक्चर (COP) मुहैया कराएंगे। यानी जंग के दौरान तीनों ही वॉरशिप एक साथ ऑपरेट कर सकते हैं।
कार्बन फाइबर का इस्तेमाल
आईएनएस किल्तान देश का पहला ऐसा वॉरशिप है जिसको बनाने में कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से इसके स्टील्थ फीचर बाकी जहाजों की तुलना में बेहतर हो जाते हैं। कार्बन फायबर हल्का होता है इसलिए इसका वजन कम है और मेंटेनेंस भी सस्ता होगा।
सीतारमण के साथ इस मौके पर नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा और फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग चीफ एचएस. बिष्ट भी मौजूद थे। सीतारमण ने कहा- आईएनएस किल्तान हमारे डिफेंस सिस्टम को मजबूत करता है। चूंकि यह पूरी तरह यहां बना है तो यह हमारे मेक इन इंडिया प्रोग्राम का चमकता वॉरशिप होगा।
किसने बनाया?
आईएनएस किल्तान को इंडियन नेवी की इन हाउस बॉडी ने बनाया है। हथियारों और सेंसर्स के साथ समुद्र में इसकी सभी ट्रायल्स कामयाब रही हैं। इसके अलावा यह पहले ही दिन से ऑपरेशनल मोड में रहेगा।
आने वाले वक्त में इस पर शॉर्ट रेंज मिसाइल और जंगी हेलिकॉप्टर भी तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा मोस्ट एडवांस्ड सोनार और सर्विलांस राडार रेवती भी इस पर तैनात किए जाएंगे।
वॉरशिप में ये खासियत?
किल्तान में काटने वाले हथियार और सेंसर लगाए गए हैं। इसके अलावा हैवीवेट टॉरपीडो, रॉकेट्स, 76 एमएम की मीडियम रेंज गन, 30 एमएम की मल्टीबैरल गन, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और फायर कंट्रोल सिस्टम तैनात किया गया है।