नई दिल्ली: भारत सरकार ने सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए सैनिक भर्ती हेतु ‘अग्निपथ योजना’ बनाई है। इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए होगी। इन सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीसीएस यानी सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में नई योजना को मंजूरी मिल जाने के बाद इसकी जानकारी दी। राजनाथ सिंह ने बताया- ‘अग्निपथ भर्ती योजना एक क्रांतिकारी पहल है जो सशस्त्र बलों को एक युवा ‘प्रोफाइल’ पहचान करेगी।’ सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा, ‘अग्निपथ योजना का उद्देश्य सशस्त्र बलों में भर्ती में आमूल-चूल परिवर्तन लाना है।’ बदलाव के बाद भर्ती प्रक्रिया में शुरू में चार साल की अवधि के लिए होगी। इनमे से कुछ को जारी रखा जाएगा।
वायुसेना की भी सभी भर्तियां अग्निपथ स्कीम के तहत ही होंगी। जिन युवाओं ने एयरमैन का एग्जाम दिया था अब उनका रिजल्ट नहीं आएगा बल्कि अग्निपथ योजना के तहत उन्हें फिर से आवेदन करना होगा।
जिन युवाओं ने आर्मी में भर्ती का मेडिकल और फिजिकल क्लियर कर लिया था और दो साल से भर्ती का इंतजार कर रहे थे। उन्हें निराशा हाथ लगेगी।
पिछले दो साल में इस पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद नई योजना की घोषणा की गई। ‘अग्निपथ’ योजना को पहले ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ नाम दिया गया था। इस योजना का आरंभ तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति में किया गया है। वर्तमान में सेना 10 साल के शुरुआती कार्यकाल के लिए ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के अंतर्गत युवाओं की भर्ती करती है। इस भर्ती को 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
नई योजना का उद्देश्य तीनों सेवाओं के वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है, जो तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2022-23 के लिए 5,25,166 करोड़ रुपये के रक्षा बजट में रक्षा पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये शामिल हैं। राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। राजस्व व्यय में वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रख-रखाव पर खर्च शामिल है।