जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीख आने के बाद सियासी सरगर्मियां शुरू हो गई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। पत्र में अनुच्छेद 370 और प्रदेश का राज्य का दर्जा बहाल किये जाने सहित कई वादे किए गए हैं।
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी करते हुए पार्टी नेता उमर अब्दुल्ला ने 12 गारंटी की बात कही है। इनमे अनुच्छेद 370 और प्रदेश का राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ ही साल 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव का कार्यान्वयन शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरण में चुनाव की घोषणा की है। यहाँ 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे। इस चुनाव के नतीजे चार अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि पार्टी केवल वही वादे कर रही है जिन्हें वह पूरा कर सकती है।
उमर अब्दुल्लाह ने घोषणापत्र को पार्टी का दृष्टिकोण दस्तावेज और शासन का रोडमैप बताते हुए घोषणापत्र में कहा है कि पार्टी अनुच्छेद 370-35ए को बहाल करने और 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति की तरह राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करेगी।
इसकेअलावा पार्टी ने साल 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव के कार्यान्वयन का भी वादा किया है। साथ ही पार्टी ने राजनीति बंदियों को रिहा करने, युवाओं को नौकरी देने, पासपोर्ट वेरीफिकेशन में बाधाओं को दूर करने का भी वादा दिया है।
गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने जून 2000 में राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर राज्य में 1953 से पहले की संवैधानिक स्थिति बहाल करने की मांग की थी। जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इसे निरस्त कर दिया था।
घोषणापत्र तैयार करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राठेर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। इस समिति में पार्टी के श्रीनगर से सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी सहित कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
बताते चलें कि 2019 में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खारिज कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था जबसे यहाँ चुनाव नहीं हुए थे।