गुरुपूर्णिमा के चांद को दुनिया में मून, मीड मून, राइप कॉर्न मून, बक मून और थंडर मून के नाम से भी जाना जाता है।moon
लोगों का कहना है कि ये देशवासियों के लिए सम्मान की बात है, आखिरकार हमारी पूर्णिमा को नासा ने भी गुरु मान लिया है।
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न्यूयॉर्क. रविवार को देशभर में गुरुपूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। इस बार इसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी याद किया है। शनिवार को नासा ने पहली बार गुरु पूर्णिमा पर अपने ट्विटर हैंडल से चांद की तस्वीर जारी की। उसने गुरुपूर्णिमा के दिन वाले चांद को दुनिया में किन और नामों से जाना जाता है, उन्हें भी बताया है। इनमें गुरुपूर्णिमा सबसे ऊपर है। टॉप ट्रेंड कर रही नासा की पोस्ट…
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– गुरुपूर्णिमा के चांद को दुनिया में जिन नामों से जाना जाता है वो हैं- मून, मीड मून, राइप कॉर्न मून, बक मून और थंडर मून हैं।
– गुरुपूर्णिमा के चांद की तस्वीर को लेकर जो ट्विटर पर नासा की पोस्ट टॉप ट्रेंड कर रही है।
– नासा के इस ट्वीट को भारत समेत दुनियाभर में लोग काफी पसंद कर रहे हैं। वे नासा के बताए 5 नामों के अलावा गुरुपूर्णिमा के अलग-अलग नाम बता रहे हैं।
लोगों ने कहा- भारत के लिए सम्मान की बात
– लोगों का कहना है कि ये देशवासियों के लिए सम्मान की बात है, आखिरकार हमारी पूर्णिमा को नासा ने भी गुरु मान लिया है।
– नासा के ट्वीट को बड़ी तादाद में लोगों ने री-ट्वीट और लाइक भी किया।
व्यास पूर्णिमा क्यों कहते हैं?
– आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा कहते हैं। इसी दिन महाभारत लिखने वाले कृष्ण द्वैपायन व्यास यानि वेद व्यास का जन्म हुआ था।
– माना जाता है कि व्यास ने चारों वेदों को लिखा था। इसीलिए उनका नाम वेद व्यास भी पड़ा। उनके नाम पर गुरुपूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
– नासा ने जिन 5 और नामों का जिक्र किया है, उन्हें जुलाई महीने में उत्तरी-पूर्वी अमेरिका और इंग्लैंड में खासकर किसानों बोलते हैं।
– वे इस दिन आने वाली फसल के स्वागत में जश्न मनाते हैं। वे गाना गाकर और नाचकर दिन-रात मस्ती करते हैं।