लखनऊ। पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को लखनऊ में होंगे। यहां वह ऐशबाग में होने वाली मशहूर रामलीला में शरीक होंगे। पीएम के यहां आने को राजनीतिक जानकार यूपी चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि यहां दी गई पीएम की स्पीच से आगे शुरू होने वाले चुनावी महासंग्राम में बीजेपी की रणनीति तय होगी। मोदी के रविवार को दिए गए भाषण की वजह से भी राजनीतिक जानकार इस बात को लेकर आश्वस्त हैं। मोदी ने कहा था, ‘यह विजयादशमी देश के लिए बेहद खास होगा।’ narendra modi lucknow
बीजेपी यह कहती आई है कि वह पाक अधिकृत कश्मीर में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को ज्यादा तूल नहीं देगी। हालांकि, हाल ही में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि सेना के पराक्रम को जनता के बीच ले जाना जरूरी है। इससे इस बात की अटकलें शुरू हो गईं कि पार्टी सर्जिकल स्ट्राइक को यूपी में जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों में भुना सकती है। हाल फिलहाल में सामने आए कुछ पोस्टरों से भी इस बात का अंदाजा मिलता है। ऐसे में मोदी ऐशबाग रामलीला में जो कहेंगे, उससे ही बीजेपी का असली मूड पता चलेगा।
मोदी शाम करीब छह बजे ऐशबाग रामलीला मैदान पहुंचेंगे। जिला प्रशासन के मुताबिक, वह शाम 5:25 पर एअरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से उनका काफिला सीधे ऐशबाग स्थित रामलीला मैदान पहुंचेगा। यहां वह 10 मिनट आरती करेंगे। इसके बाद उनका सम्मान होगा और फिर वे भाषण देंगे। इसके बाद, वे करीब 20 मिनट तक रामलीला देखेंगे। फिर वह लौट जाएंगे। उनके जाने के बाद रावण दहन होगा। narendra modi lucknow
ऐशबाग रामलीला समिति पीएम को धनुष-बाण, गदा और सुदर्शन चक्र भेंट करेगी। ये सभी उपहार सोमवार को ही रामलीला समिति ने मंगवा लिए थे। रामलीला के संयोजक हरीशचंद्र अग्रवाल ने तीन तीरों को नोक कम करवाने के लिए वापस भेजा है। समिति पीएम को मुकुट न पहनाकर पगड़ी पहनाएगी। समिति के मंत्री आदित्य द्विवेदी ने बताया कि लखनवी चिकनकारी की पगड़ी तैयार करवाई गई है। इसका रंग पीतांबरी होगा।
रामलीला में कोलकाता से आए 41 कलाकार हिस्सा लेंगे। पिछले कई सालों से स्थानीय कलाकारों को वानर और असुर सेना में भूमिका निभाने का मौका दिया जाता था। लेकिन इस बार पीएम के सामने होने वाली लीला में शामिल होने वाले कलाकारों की सूची से वानर और असुर सेना गायब हैं। इसमें रावण-मंदोदरी संवाद, रावण की शिवपूजा, राम-रावण युद्ध और रावण वध दिखाने की तैयारी है। ऐशबाग रामलीला में मोदी के सामने राम-रावण युद्ध करेंगे, लेकिन सेना के बिना। राम की वानर सेना और रावण की असुर सेना को मंच छोटा पड़ने और पीएम का संक्षिप्त कार्यक्रम होने के चलते सीन से हटा दिया गया है। युद्ध में राम के साथ सुग्रीव, नल-नील, जामवंत और विभीषण होंगे। वहीं रावण के साथ सिर्फ दो दैत्य नजर आएंगे।
इस बार बुराई का प्रतीक ‘आतंकवाद’
ऐशबाग में होने वाली रामलीला में हर साल बुराई को एक प्रतीक के तौर पर पेश करते हैं। उदाहरण के तौर पर, 2013 में बुराई को ‘भ्रष्टचार’ के तौर पर पेश किया गया था। 2014 में ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा’ जबकि बीते साल ‘गोहत्या’ को बुराई का प्रतीक बनाया गया। सैकड़ों साल से चल रही इस रामलीला में मंगलवार को जब मोदी पहुंचेंगे तो बुराई को ‘आतंकवाद’ के तौर पर दिखाने की तैयारी है। जिस रावण का दहन होगा, उस पर लिखा है, ‘आतंकवाद का समूल नाश हो।’ narendra modi lucknow
वहीं आयोजकों का कहना है कि इस बार की थीम का पाक अधिकृत कश्मीर में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक से कोई लेनादेना नहीं है। वहीं, आयोजन समिति के महासचिव आदित्य द्विवेदी ने कहा, ‘आपको उनसे सख्ती से निपटना पड़ता है, जो प्रेम की भाषा नहीं समझते।’ राम का किरदार निभा रहे राहुल चटर्जी ने कहा, ‘आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। सर्जिकल स्ट्राइक इससे निपटने का सटीक तरीका है क्योंकि इसमें आम लोगों के जानमाल का नुकसान न के बराबर होता है। आतंकवाद के राक्षस को प्रतीकात्मक तौर पर मारकर मुझे बेहद खुशी होगी।’
ऐशबाग रामलीला ही क्यों?
बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि आखिर मोदी के लिए ऐशबाग रामलीला का ही चुनाव क्यों किया गया। सूत्र के मुताबिक, लखनऊ में होने वाला यह कार्यक्रम सामाजिक समरसता का प्रतीक है। माना जाता है कि इस रामलीला की शुरुआत 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास के वक्त हुई। बाद में अवध के नवाबों ने इसे आगे बढ़ाया।
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