नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मऊ सदर सीट से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की पैरोल रद कर दी है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने अपने 23 पन्नों के आदेश में उन्हें चुनाव प्रचार के लिए अनुमति देने से इन्कार करते हुए कहा कि अंसारी का लंबा आपराधिक रिकार्ड है। निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव की खातिर उन्हें प्रचार के लिए पैरोल प्रदान करना उचित नहीं। Mukhtar Ansari
हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा अंसारी की पैरोल रद करने के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि उनके पास चुनाव लड़ने का अधिकार जरूर है, लेकिन वह यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें चुनाव प्रचार की भी अनुमति दी जाए।
हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग व सीबीआइ के उस तर्क को माना कि अंसारी संगठित अपराधों में लिप्त रहे है।
यदि उनको हिरासत में चुनाव प्रचार करने की इजाजत दी गई तो वह अपने ऊपर चल रहे मुकदमों से जुड़े गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और निष्पक्ष चुनाव भी संभव नहीं हो पाएंगे।
अदालत ने कहा कि आयोग की जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव करवाए। यदि उसे लगता है कि कानून व्यवस्था में बाधा आ सकती है तो वह किसी पर भी प्रतिबंध लगा सकता है।
हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा प्रचार के लिए दी गई पैरोल को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि अदालत को किसी भी अपराधी को कम समय के लिए कहीं स्थानांतरित करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है।
अदालत मात्र परिवार में मृत्यु, अस्पताल या फिर बच्चे के विवाह के लिए ही ऐसा आदेश दे सकती है। बता दें कि निचली अदालत ने 16 फरवरी को अंसारी को पैरोल (हिरासत में) प्रदान की। निचली अदालत ने पैरोल के साथ उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया था।
जिसमें उनके निजी सुरक्षा गार्ड एके 47 लेकर उनके साथ रह सकते थे। अंसारी हाल ही में बसपा में शामिल हुए हैं और मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
इससे पूर्व अंसारी की तरफ से पेश अधिवक्ता सलमान खुर्शीद व सुधीर नंदराजोग ने कहा कि चुनाव आयोग के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
चुनाव में प्रचार करना उनके मुवक्किल का हक है। वह हलफनामा तक देने के लिए तैयार हैं कि पैरोल के दौरान किसी नियम का उल्लंघन नहीं करेंगे।
इससे पूर्व भी अंसारी को पैरोल मिल चुकी है। उस दौरान उन्होंने कभी नियमों का उल्लंघन नहीं किया। उधर, चुनाव आयोग के वकील दयान कृष्णनन ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि अंसारी के पैरोल पर छूटने से निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाएगा। उनके प्रचार करने से लोगों में डर उत्पन्न होगा।