मॉडल निकिता घाग ने पिछले दिनों मिलने वाले दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल अवॉर्ड को लौटाने का एलान किया है। साथ ही उन्होंने दादा साहब का सम्मान बनाए रखने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस पुरस्कार से मिलते जुलते नामों पर रोक लगाने की मांग भी की है।
अवार्ड वापसी के साथ निकिता का कहना है कि दादा साहब फाल्के के नाम पर चल रहे इस गोरखधंधे का पर्दाफाश किया जाना बहुत जरूरी है। निकिता का मानना है कि उनके जैसे तमाम नए कलाकारों को पता ही नहीं होता कि दादा साहब फाल्के के नाम पर भारत सरकार सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के रूप मे देती है।
किसी मॉडल या अभिनेत्री द्वारा दादा साहब इंटरनेशनल अवॉर्ड को लौटाने की घटना को मुंबई में पहली बार होने वाली घटना माना जा रहा है।
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मॉडल निकिता घाग पिछले नौ वर्षों से जानवरों की देखभाल करने वाली संस्था दावा इंडिया चला रही हैं। इस सम्बन्ध में निकिता आगे कहती हैं कि किसी भी अच्छे काम के लिए हमें पुरस्कार मिलता है तो इससे हमारा अच्छा काम करने का हौसला और बढ़ता है। प्रशंसा ही किसी अच्छे सामाजिक कार्य का सबसे बडा पुरस्कार है लेकिन मुझे मिले ‘दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार के पीछे एक पूरा सिस्टम काम कर रहा है।
राष्ट्रीय अखबार अमर उजाला को दिए गए एक इंटरव्यू में निकिता कहती है कि वह भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय से भी इस बारे में कदम उठाने की अपील करती हूं। इससे दादा साहब फाल्के पुरस्कार का सम्मान बना रहे और नई पीढ़ी इस पुरस्कार से मिलते जुलते नामों वाले पुरस्कारों पर गुमराह न हो।