भारत और अमरीका के मध्य ‘प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ’ शुरू होगा। इस प्रोजेक्ट में फेसबुक की मूल कंपनी मेटा एक विशाल अंडरसी केबल परियोजना के तहत दोनों देशों को जोड़ने का काम करेगी।
भारत और अमरीका के बीच इस डिजिटल दुनिया के नए युग की शुरुआत के साथ करीब पांच लाख किलोमीटर लंबी अंडरसी केबल बिछाने के प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा।
प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ परियोजना का मुख्य उद्देश्य वैश्विक डिजिटल नेटवर्क को और मजबूत करना है, खासतौर पर हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां भारत एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
मेटा के लिए भारत एक ऐसा बाजार है, जहां फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के उपयोगकर्ताओं की संख्या एक अरब से अधिक है। भारत में डिजिटल इंडिया अभियान के तहत बहुत तेज़ी से इंटरनेट का विस्तार हो रहा है। देश में इस समय हाई-स्पीड कनेक्टिविटी की मांग बहुत बढ़ गई है।
भारत में डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए मेटा के प्रवक्ता का कहना है कि यह निवेश हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस परियोजना के ज़रिए भारत में डिजिटल समावेशन को बढ़ावा मिलने के साथ तकनीकी नवाचार के नए रास्ते खुलने की भी उम्मीद है।
गौरतलब है कि मेटा इस समय 20 से अधिक अंडरसी केबल प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इनमे से कई नई पीढ़ी की 24 फाइबर पेयर तकनीक से लैस होंगी।
इस परियोजना के तहत अगले कुछ वर्षों में पांच लाख किलोमीटर से अधिक लंबी अंडरसी केबल बिछाये जाने की बात चल रही। इसके लिए मेटा ने 14 फरवरी को अरबों डॉलर वाली परियोजना की घोषणा की है। जो दुनिया की सबसे लंबी समुद्री केबल परियोजनाओं में से एक होने के अलावा पांच महाद्वीपों को जोड़ेगी।
मेटा के इस प्रोजेक्ट के तहत तीन नए महासागरीय कॉरिडोर खोले जाएंगे, जिससे भारत को हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी का लाभ मिल सकेगा।
मेटा के मुताबिक़, दुनिया भर में अंडरसी केबल नेटवर्क ही डिजिटल कम्युनिकेशन की रीढ़ हैं, जिनसे 95% से अधिक इंटरकॉन्टिनेंटल डेटा ट्रांसफर होता है। इसके अंतर्गत ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, वीडियो स्ट्रीमिंग तथा डिजिटल कम्युनिकेशन जैसी सर्विस शामिल हैं।