नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त ए के ज्योति ने कहा कि त्रिपुरा, मेघायल और नगालैंड में होने वालेे विधानसभा चुनावों में ईवीएम मशीन का इस्तेमाल होगा. उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को त्रिपुरा और 27 फरवरी मेघालय और नगालैंड में होगा मतदान. इन तीनों राज्य के विधानसभा चुनावों के नतीजे 3 मार्च को आएंगे. इन तीनों राज्यों में विधानसभा की 60-60 सीटें है. मेघालय विधानसभा का कार्यकाल 6 मार्च को, नगालैंड का 13 मार्च को और त्रिपुरा को 14 मार्च को खत्म हो रहा है.
किस राज्य में है किसकी सरकार
मेघालय में कांग्रेस की सरकार है, त्रिपुरा में 1993 से माकपा की सरकार सत्ता में है और वहीं नगालैंड में नागा पीपुल्स फ्रंट की सरकार है और उसे बीजेपी का समर्थन हासिल है.
त्रिपुरा:राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा है और यहां पर सीपीएम के नेतृत्व वाली लेफ्ट की सरकार 1993 में सत्ता में हैं. यह देश में लेफ्ट का सबसे मजबूत गढ़ है और मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने अपना चौथा कार्यकाल पूरा किया. टीएमसी के छह और एक कांग्रेस विधायक के बीजेपी में शामिल होने के बाद से पार्टी मजबूत हुई है. वहीं बीजेपी राज्य में सरकार बनाने की संभावना तलाश रही है. इतना ही नहीं पार्टी सभी क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन बनाने की भी कोशिश कर रही है.
मेघालय:मेघालय विधानसभा में 60 सदस्यीय विधानसभा भी हैं जहां कांग्रेस ने मेघालय संयुक्त गठबंधन सरकार पिछले आठ वर्षों से सत्ता में है, इससे पहले कि मेघालय में बहुत सी राजनीतिक अस्थिरता दिखाई दी लेकिन दो बार से मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने कांग्रेस की सरकार को अस्थिर नहीं होने दिया. वहीं बीजेपी केंद्र में अपने गठबंधन सहयोगी और मणिपुर राष्ट्रीय लोक पार्टी के साथ सत्ता में आने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस के विधायकों और पूर्व मंत्री के एनपीपी, बीजेपी और अन्य स्थानीय पार्टियों में शामिल हुए हैं जिससे कांग्रेस के लिए मुकाबला कठिन कर दिया है. वहीं द पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने आगामी राज्य विधानसभा चुनाव वह अकेले लड़ेगी और कम से कम 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
नगालैंड:नगालैंड में भी 60 विधानसभा सीटें और यहां पर डेमोक्रेटिक एलायंस ऑफ नागालैंड के नेतृत्व वाली नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की सरकार सत्ता में हैं. यहां बीजेपी एक जूनियर पार्टनर है. बीजेपी राज्य में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है क्योंकि कांग्रेस ने मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपने जमीन खो दी है. पिछले एक साल में दो बार मुख्यमंत्री के बदलने से राजनीतिक संकट के रूप में देखा जा रहा है. एनपीएफ के भीतर आंतरिक झगड़े का बीजेपी फायदा उठाना चाहती है. पूर्व नागालैंड के मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद नीईफू रियो ने एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन किया है, जिसकी एनपीएफ के साथ गठबंधन तोड़ने और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की संभावना है.