नई दिल्ली। बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा में बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उन्हें अपनी बात नहीं रखने दी जाती है तो वह सदन से इस्तीफा देंगी। इसके बाद वह विरोध स्वरुप सदन से बाहर चली गई। मायावती के समर्थन में कांग्रेस ने भी सदन से वॉकआउट किया।
मायावती ने सदन में सहारनपुर घटना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पूरे देश में जहां पर भी भाजपा की सरकार है वहां पर दलितों पर अत्याचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सहारनपुर की हिंसा साजिश की तहत हुई थी।
मायावती ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से भीड़ द्वारा हत्याएं किए जाने की घटनाएं बढ़ रही है और अल्पसंख्यकों, पिछड़े, दलितों, किसानों और मजदूरों का दमन किया जा रहा है। भाजपा शासित राज्यों में भीड़ द्वारा हत्या के मामलों में इजाफा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सहारपुर में हिंसा को जातीय हिंसा का नाम दिया गया है जबकि यह दलितों को डराने धमकाने की कार्रवाई थी। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने टीका टिप्पणी करते हुए शोरगुल शुरू कर दिया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती दलितों के नाम पर राजनीति कर रही है। सहारनपुर मामले की जांच चल रही है।
इस बीच उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि भीड़ द्वारा हत्या किए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत अनुमति दी गई है और प्रत्येक वक्ता के लिए तीन मिनट निर्धारित किए गए हैं।
उन्होंने मायावती से अपनी बात समाप्त करने को कहा। जब वह लगातार बोलती रही तो कुरियन ने उन्हें बार बार बैठने को कहा। इस पर मायावती ने कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी रही है। उन्होंने कहा कि मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी जाती है तो मैं अभी इस्तीफा दे रही हूं।