राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की है कि मनरेगा देश के सबसे ग़रीब परिवारों के लिए कांग्रेस पार्टी द्वारा लाया गया रोज़गार की गारंटी का अधिकार है। मनरेगा श्रमिकों के लिए उन्होने रोज़ाना 400 रुपये की न्यूनतम मजदूरी तय किए जाने के साथ साल में कम से कम 150 दिन का काम दिए जाने की मांग की है।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने बृहस्पतिवार को ग्रामीण विकास संबंधी संसद की स्थायी समिति की अनुंशसाओं का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत दैनिक मजदूरी को 400 रुपये किया जाए।
इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से देश के ग्रामीण नागरिकों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दिए जाने की मांग की है। गौरतलब है कि कुछ राज्यों में मजदूरी दर इस समय 370 रुपये प्रति दिन जबकि कुछ में यह 234 रुपए प्रति दिन है।
मनरेगा श्रमिकों के अधिकारों पर कुल्हाड़ी चलाने की बात करते हुए विपक्ष के नेता खड़गे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भी पोस्ट की। पोस्ट में उन्होंने लिखा- ‘‘ऐसा लगता है कि जनविरोधी मोदी सरकार ने मनरेगा की मजदूरी बढ़ाने से इनकार कर दिया है। यह मनरेगा श्रमिकों के अधिकारों पर कुल्हाड़ी चलाना है।’’
खड़गे ने इस बात का भी उल्लेख किया कि वर्ष 2023 में बनी अमरजीत सिन्हा समिति ने भी मजदूरी बढ़ाने और मनरेगा का बजट बढ़ाने का सुझाव दिया था।
नेता प्रतिपक्ष ने केंद्र सरकार को ‘ग़रीब विरोधी’ बताते हुए इसे मनरेगा मज़दूरों पर जुल्म ढाने पर उतारू बताया। राज्यसभा में उन्होंने दावा किया कि क़रीब सात करोड़ पंजीकृत कामगारों को मनरेगा से ‘आधार’ आधारित भुगतान की शर्त लगा बाहर करना, या फिर दस सालों में मनरेगा बजट का पूरे बजट के हिस्से में सब से कम आवंटन करना, मोदी सरकार द्वारा मनरेगा पर लगातार चोट मारने जैसा है।
बताते चलें कि कांग्रेस सांसद सप्तगिरि उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि मनरेगा के तहत मजदूरी को पूरे देश में प्रतिदिन 400 रुपये किया जाए तथा कार्य दिवस को साल में 150 दिन किया जाए।