हाँ, यह सच है कि बिजली कुछ क्षणों के लिए सूर्य की सतह से 5 गुना अधिक गर्म हो सकती है! यह गर्मी इतनी तीव्र होती है कि हवा क्षण भर में प्लाज्मा में बदल जाती है।
बिजली के एक बोल्ट का तापमान लगभग 30,000 डिग्री तक पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5,500 डिग्री होता है। सूरज की सतह को फोटोस्फीयर कहा जाता है।
बिजली का बोल्ट वास्तव में सूर्य की सतह से पाँच गुना अधिक गर्म होता है और इसका तापमान 30,000 डिग्री सेल्सियस यानी 54,000 डिग्री फ़ारेनहाइट तक का पहुँच सकता है। इस प्रक्रिया में हवा के माध्यम से विद्युत ऊर्जा के तेज़ निर्वहन के कारण तीव्र गर्मी होती है, जिससे एक अति गर्म प्लाज़्मा चैनल (super-hot plasma channel) बनता है।
दुनिया में हर साल आसमान से 140 करोड़ बिजली गिरती है। हर दिन बिजली गिरने की औसतन 30 लाख घटनाएं होती हैं। इसके प्रभाव से आस-पास की वस्तुएं, जैसे पेड़, रेत या इमारतें भी पिघल या फिर जल सकती हैं।
जानकारी से पता चलता है कि बिजली का एक बोल्ट सूर्य की सतह से लगभग 5 से 6 गुना अधिक गर्म हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि बिजली मूलतः एक शक्तिशाली विद्युतीय निर्वहन (powerful electrical discharge) है जो बादलों और जमीन के बीच या बादलों के बीच घटित होता है।
आसमानी बिजली की रफ्तार गोली से 30 हजार गुना तेज होती है। एक आसमानी बिजली में औसतन 10,000 वोल्ट जितना करंट होता है। यह कहना है फ्लोरिडा बेंच पोर्टल चीफ असोसिएशन (Florida Beach Patrol Chiefs Association) का।
जब यह उत्सर्जित होता है, तो हवा में मौजूद गैसें (विशेष रूप से नाइट्रोजन और ऑक्सीजन) तेजी से आयनित हो जाती हैं, जिससे तीव्र गर्मी उत्पन्न होती है। यह गर्मी इतनी अधिक होती है कि हवा क्षण भर के लिए प्लाज्मा में बदल जाती है, जिससे प्रकाश और गड़गड़ाहट पैदा होती है।
इस पूरी प्रक्रिया का सबसे दिलचस्प तथ्य है इसका अस्तित्व। बताते चलें कि यह तापमान केवल कुछ माइक्रोसेकेण्ड (सेकेण्ड का हजारवां हिस्सा) तक ही बना रहता है। इसके प्रभाव से आस-पास की वस्तुएं, जैसे पेड़, रेत या इमारतें भी पिघल या फिर जल सकती हैं।
अपने मार्ग से गुज़रते समय बिजली तेज़ी से गर्म हवा फैलाती है, जिससे शॉकवेव पैदा होती है। बिजली की कड़क की ऊष्मा के कारण, पेड़ फटने या जलने जैसी घटनाएं आम बात हैं। दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि बिजली के रास्ते में आने वाला पानी वाष्पीकृत हो जाता है।
ब्रिटिश वेबसाइट मेट ऑफिस के अनुसार, दुनिया में हर साल आसमान से 140 करोड़ बिजली गिरती है। इसे रोज़ाना औसतन 30 लाख कह सकते हैं।
बिजली गिरने की रफ्तार इतनी तेज होती है जिसे दिल्ली से देहरादून तक महज 1.5 सेकेंड में पहुँचने से समझा जा सकता है।