नई दिल्ली, कुलभूषण जाधव मामले में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है. नीदरलैंड के हेग में अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने जाधव को फांसी पर अंतरिम रोक लगा दी है. भारत ने पाकिस्तानी की सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ इस अदालत में 8 मई को अपील की थी. अब तक पाकिस्तान की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है. अंतर्राष्ट्रीय अदालत की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत ने इस मामले में पाकिस्तान पर विएना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया था. भारत की ओर से दायर अपील में ये भी बताया गया था कि कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और ना ही उन्हें भारत के उच्चायोग अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी गई.
पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर जाधव की गिरफ्तारी 29 मार्च 2016 को दिखाई थी. पाकिस्तान का दावा था कि जाधव बलूचिस्तान और कराची में आतंकवाद फैलाने का काम कर रहे थे. वहीं, भारत का दावा था कि जाधव को अगवा किया गया है. गिरफ्तारी के बाद भारतीय उच्चायोग ने दर्जनों बार उनसे मिलने की इजाजत मांगी थी. लेकिन पाकिस्तान ने सभी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार करते हुए इसकी इजाजत नहीं दी. 11 अप्रैल 2017 को अचानक खबर आई कि पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा दे दी है.
भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने ये फैसला रूल ऑफ कोर्ट के पैरा-4 के अनुच्छेद 74 के तहत सुनाया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने जाधव की मां को इस फैसले की जानकारी दी है. सुषमा के मुताबिक सीनियर वकील हरीश साल्वे इस मामले में भारत की पैरवी कर रहे हैं.