वडोदरा की उपभोक्ता फोरम कोर्ट ने मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम पर एक खास और बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट का कहना है कि क्लेम के लिए किसी भी व्यक्ति का अस्पताल में 24 घंटे तक भर्ती रहना जरूरी नहीं है।
फैसले के आधार पर वड़ोदरा के कंज्यूमर फोरम ने बीमा कंपनी को बीमा की राशि भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि अब समय बदल चुका है। नई तकनीक में मरीजों को ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की जरूरत नहीं पड़ती है।
वड़ोदरा निवासी रमेश चंद्र जोशी की याचिका पर उपभोक्ता फोरम ने यह फैसला सुनाया है। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ 2017 में रमेश जोशी ने शिकायत दर्ज कराई थी। याचिका में कहा गया कि कंपनी ने उनका बीमा क्लेम देने से इनकार कर दिया था। जोशी की पत्नी 2016 में डर्मेटोमायोसिटिस से पीड़ित थी और उन्हें अहमदाबाद के लाइफकेयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था। अगले दिन इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने एक खास फैसले में कहा है कि अगर मरीज अस्पताल में भर्ती न रहा हो तो इससे मेडिकल बीमा का दावा कमजोर नहीं हो जाता है.#MedicalInsaurance #Hospitalhttps://t.co/KIHBk4cMmJ
— ABP News (@ABPNews) March 15, 2023
इस मामले में जोशी 44,468 रुपये की दावेदारी की जिसे बीमा कंपनी ने ख़ारिज कर दिया और ये तर्क दिया कि पॉलिसी नियम के मुताबिक उन्हें 24 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया था। उपभोक्ता फोरम में जोशी ने सभी साक्ष्य प्रस्तुत किए और कहा कि उसकी पत्नी को 24 नवंबर 2016 को शाम 5.38 बजे भर्ती कराया गया और 25 नवंबर 2016 को शाम 6.30 बजे छुट्टी दे दी गई जो 24 घंटे से अधिक थी। हालांकि कंपनी ने उन्हें क्लेम का भुगतान नहीं किया।
उपभोक्ता फोरम ने कहा कि मरीज को अस्पताल में 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती किया गया था लेकिन उसे क्लेम का भुगतान किया जाना चाहिए। आधुनिक समय में इलाज की नई तकनीक आने से डॉक्टर उसी के अनुसार इलाज करता है। इसमें समय कम लगता है। पहले मरीजों को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। अब कई बार तो मरीजों को बिना भर्ती किए ही इलाज कर दिया जाता है। फोरम ने कहा कि बीमा कंपनी यह कहकर क्लेम लेने से इनकार नहीं कर सकती है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।