फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को सहायता पहुंचाने वाली संयुक्त राष्ट्र संघ की सहायता एजेन्सी अनरवा ने ज़ायोनी शासन द्वारा स्कूलों पर बमबारी और छात्रों के जनसंहार की कड़े शब्दों में निंदा की है।
अनरवा की कार्यकारी प्रबंधक मातीयास शाली ने शुक्रवार को कहा कि आम नागरिकों विशेषकर बच्चों का बुरी तरह से जनसंहार किसी भी प्रकार स्वीकार्य नहीं है क्योंकि बच्चों को लिखना पढ़ना चाहिए और बपचन में मज़े करना चाहिए स्वयं को भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ की इस अधिकारी ने बल दिया कि इस प्रकार के हमलों के सामाजिक और मानसिक नुक़सान बच्चों और आम नागरिकों पर पड़ते हैं और इससे बहुत ही ख़तरनाक परिणाम समाने आते हैं।
दूसरी ओर इस्राईली सेना ने दावा किया है कि हमले में आम नागरिकों विशेषकर बच्चों के मारे जाने की जांच कराई जाएगी। इस्राईल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ ने कहा कि सेना के हमलों में आम नागरिकों के मारे जाने की जांच कराई जा रही है। बयान में कहा गया है कि इस्राईली डिफ़ेंस सेना हमले में आम नागरिकों के मारे जाने की जांच कर रही है।
ज्ञात रहे कि ग़ज़्ज़ा पट्टी पर इस्राईल के ताज़ा हमलों में 3 बच्चों और एक महिला सहित 34 फ़िलिस्तीनी शहीद और 110 लोग घायल हो गये थे। मारे जाने वालों में छह छात्र भी थे जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ के दो स्कूलों सहित 15 स्कूलों को नुक़सान पहुंचा है।