अमरीकी मीडिया का कहना है कि अमरीकी राष्ट्रपति पद की दौड़ को दुष्प्रचार से खतरा है।
अमरीकी मीडिया के मुताबिक, वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन चुनाव से पहले, अमरीकी लोगों को रूस, चीन और ईरान के कथित हस्तक्षेप को लेकर चेतावनी दे रहे हैं।
इस विषय पर अमरीकी मीडिया का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव के खतरों को लेकर बनाई गई टास्क फोर्स आने वाले दिनों में और भी खुलासे कर सकती है।
अमरीकी मीडिया रिपोर्ट्स से इस बात का भी खुलासा होता है कि रूस चाहता है कि डोनाल्ड ट्रंप यह चुनाव जीतें, जबकि ईरान चाहता है कि डोनाल्ड ट्रंप हार जाएं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमरीकी लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए रूस वही तरीके अपना सकता है जैसा उसने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किया था।
जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा व्लादिमीर पुतिन पर अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में हस्तक्षेप करने के साथ इसे प्रभावित करने का आरोप लगाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया जा रहा है कि अमरीकी पत्रकारों का कहना है कि रूसी सरकारी मीडिया में एक शख्स है जो एक हजार सोशल मीडिया अकाउंट चला रहा है, जिसका मकसद अमरीकी मतदाताओं की राय को बांटकर चुनाव नतीजे को प्रभावित करना है।
अमरीकी सरकार पहले ही सोशल डिज़ाइन एजेंसी नामक कंपनी पर प्रतिबंध लगा चुकी है, जो यूरोप में सोशल मीडिया अभियान चलाती है।
इंटरनेशनल मीडिया अमरीकी खुफिया अधिकारी के हवाले से यह पहले प्रकाशित कर चुका है कि रूस, अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प को ही अपना पसंदीदा उम्मीदवार मानता है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा इस संबंध में पहले ही आरोप लगाए जा चुके हैं कि गलत सूचना को बढ़ावा देने के साथ ही रूस दुष्प्रचार के लिए कुछ मजबूत और प्रभावशाली अमरीकियों को अपने साथ शामिल करने की कोशिश कर रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमरीकी लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए रूस वही तरीके अपना सकता है जैसा उसने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किया था। रूस के तरीकों में फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, बॉट्स का इस्तेमाल और प्रचार शामिल है।
एक अन्य प्रमुख अमरीकी पत्रिका का कहना है कि ईरान में फर्जी वेबसाइटों और हैकिंग की घटनाओं में कथित वृद्धि का उद्देश्य अमरीकी लोकतंत्र को बदनाम करना और चुनावी दौड़ को डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ झुकाना है।