आंकड़े बता रहे हैं कि अपने गृह राज्य लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में संक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे में वे जहां से निकले थे और जहां पहुंचे हैं, उन दोनों राज्यों को और सतर्क हो जाने की जरूरत है.
तालाबंदी में ढील दिए जाने के साथ संक्रमण कहीं और फैल ना जाए ऐसी आशंकाएं पहले से थीं. अब कई जगहों से खबरें आ रही हैं जो ये इशारा कर रही हैं कि स्थानीय प्रशासन के विभागों को और ज्यादा सचेत हो जाने की और महामारी के प्रबंधन की एक पुख्ता रणनीति बनाने की जरूरत है. इस समय सबसे ज्यादा चिंताजनक खबरें बिहार से आ रही हैं, जहां पिछले कुछ हफ्तों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक दूसरे राज्यों से वापस लौटे हैं.
अपने गृह राज्य वापस लौट रहे श्रमिकों के बीच पॉजिटिविटी दर चिंताजनक है. ये दर बताती है कि कुल जितने सैंपलों की जांच हुई उनमें से कितने कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए. राष्ट्रीय स्तर पर ये दर चार प्रतिशत है, यानी जांच किए गए हर 100 सैंपलों में से सिर्फ चार पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों के बीच ये दर ठीक दोगुनी, यानी आठ प्रतिशत है. सबसे ज्यादा चिंताजनक दर दिल्ली से बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों के बीच है.
अभी तक दिल्ली से बिहार लौटे श्रमिकों के 835 सैंपलों की जांच हुई है जिनमें 218 पॉजिटिव पाए गए हैं, यानी इनमें पॉजिटिविटी दर है 26 प्रतिशत. पश्चिम बंगाल से बिहार लौटे श्रमिकों में ये दर 12 प्रतिशत है, महाराष्ट्र से लौटे श्रमिकों में 11 प्रतिशत और हरियाणा से लौटे श्रमिकों में नौ प्रतिशत. विशेष रूप से दिल्ली से जुड़ा आंकड़ा दिल्ली और बिहार दोनों राज्यों के लिए चिंता का विषय है.
संक्रमित श्रमिकों की देखभाल और संक्रमण की रोकथाम के लिए बिहार सरकार को क्वारंटाइन केंद्रों के नेटवर्क को बढ़ाना होगा और उनमें व्यवस्था ठीक करनी होगी. बिहार में क्वारंटाइन केंद्रों में कुव्यवस्था और मानकों के उल्लंघन की कई खबरें आई हैं.
दो बिस्तरों के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी रखे जाने के निर्देश का अक्सर पालन नहीं होता है. कई जगह छोटे-छोटे कमरों में 12 से 15 लोगों को रखा जा रहा है, लोग जमीन पर सो रहे हैं और मच्छरों से बचाने का भी कोई प्रबंध नहीं है. कुछ दिनों पहले समस्तीपुर जिले के एक क्वारंटाइन केंद्र में पीने के पानी को लेकर लोगों के बीच में छीना-झपटी और मार-पीट के वीडियो भी देखे गए थे.
दिल्ली के लिए यह चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि दिल्ली में पॉजिटिविटी दर सात प्रतिशत के आस पास है, तो यहां से लौटे श्रमिकों में ये दर 26 प्रतिशत कैसे हो गई? संभव है कि ये सभी ऐसे मामले हो जिनमें कोई लक्षण दिख नहीं रहे हों और संक्रमण बिहार लौटने पर जांच के बाद ही पता चला हो. अगर ऐसा है तो दिल्ली सरकार को उन सभी लोगों को ढूंढना पड़ेगा जिनसे ये श्रमिक संपर्क में आए थे और उनकी जांच करनी होगी.
(courtesy:dw.com)