नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के गश्ती विमान इलियुशिन 38 सी ड्रैगन (आईएल 38 एसडी) से बुधवार को अरब सागर में पोतभेदी मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। Indian navy
इस विमान में सुधार और इसे फिर से तरोताजा किए जाने के बाद इससे किया गया यह पहला परीक्षण है।
यह परीक्षण पश्चिमी तट पर जारी वार्षिक थिएटर लेवल रेडीनेस एंड ऑपरेशनल एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स-17) के हिस्से के रूप में किया गया।
यहां जारी एक बयान में कहा गया है, सुधार और उन्नतीकरण के बाद आईएल 38 एसडी विमान ने पहली मिसाइल दाग कर पोतभेदी हमले की अपनी उच्च दक्षता का प्रदर्शन किया है।
इस परीक्षण ने भारतीय उपमहाद्वीप के चारों ओर लंबे समुद्री विस्तार में सुरक्षा सुनिश्चित करने की भारतीय नौसेना की क्षमता पर मुहर लगा दी है।
आईएल 38 एसडी विमानों का ठिकाना गोवा में है और ये पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय के अधीन आते हैं। ये विमान केएच35 पोतभेदी मिसाइल से सुसज्जित हैं।
भारत सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में देश की सबसे आधुनिक और खतरनाक सुपरसोनिक क्रू ज मिसाइल ब्रह्मोस की प्रस्तावित तैनाती पर चीन बौखला गया है।
चाइनीज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के मुख पत्र पीएलए डेली के अनुसार चीन से लगी सीमा पर इसकी तैनाती से इस क्षेत्र में स्थायित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत सीमा पर सुपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर रहा है। इससे चीन के तिब्बत और युन्नान प्रांतों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस तैनाती से निश्चित तौर पर चीन-भारत संबंधों में प्रतिस्पर्धा और टकराव बढ़ेगा जिससे क्षेत्र की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली के मुताबिक चीन से सटी सीमा पर ब्रह्मोस की तैनाती से क्षेत्रीय स्थायित्व पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
वैसे अभी अरुणाचल में ब्रह्मोस की तैनाती हुई भी नहीं है लेकिन चीन की आपत्ति सामने आ गई है। फिलहाल सरकार ने इस आशय का फैसला भर लिया है कि अरुणाचल में ब्रह्मोस की चौथी रेजीमेंट की तैनाती होगी।
करीब 4,300 करोड़ की लागत से रेजीमेंट में करीब 100 मिसाइलें, पांच मोबाइल स्वचालित लॉन्चर और एक मोबाइल कमान पोस्ट तैनात होगी। इसकी तैनाती में करीब सालभर का वक्त लग जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने पर्वतीय क्षेत्रों पर युद्ध के लिए विकसित ब्रह्मोस के आधुनिक संस्करण से लैस एक नई रेजिमेंट की स्थापना को मंजूरी दी थी।
इसकी लागत 4, 300 करोड़ रुपये से अधिक की है। इस रेजीमेंट में 100 मिसाइलें, पांच मोबाइल स्वचलित लांचर और एक मोबाइल कमान पोस्ट शामिल है।
रक्षा सूत्रों का कहना है कि चीन के ऐतराज के बावजूद ब्रह्मोस की तैनाती चीन से लगी सीमा पर की जाएगी क्योंकि भारत अपनी सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए ऐसे हथियार तैनात कर रहा है।
वैसे ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है लेकिन चीन के घबराने की वजह है कि इस मिसाइल का उसके पास कोई तोड़ नहीं है। भारत के पास मौजूद ब्रह्मोस सुपरसोनिक है यानी इसकी स्पीड करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड है, जबकि चीन के पास मौजूद मिसाइल सबसोनिक यानी उसकी स्पीड 290 मीटर प्रति सेकेंड है।
आम भाषा में समझे तो ब्रह्मोस चीनी मिसाइल से तीन गुना तेज है और इसे फायर करने में वक्त भी कम लगता है। साथ ही इसका निशाना चूकता नहीं है।
इसकी तैनाती के बाद अरुणाचल प्रदेश से चीन के 290 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर जगह इसकी पहुंच में होगी। यहां उन्नत ब्रह्मोस की तैनाती होगी जो पहाड़ों में छुपे दुश्मन के ठिकानों को भी निशाना बना सकता है।
चीनी सेना के मुताबिक ब्रह्मोस की तैनाती से चीन के तिब्बत और युन्नान प्रांत खतरे की जद में आ जाएंगे। भारत और रूस की मदद से बना ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो ध्वनि से तीन गुना रफ्तार से हमला करता है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत, लड़ाकू विमान आदि से दागा जा सकता है।
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