पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सियासत का ऊँट अब जिस करवट बैठ रहा है उसका इशारा साफ़ है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने आज सुबह ट्वीट किया कि एकजुट विपक्ष और एमक्यूएम के बीच समझौता हो गया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के प्रमुख गठबंधन सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के रूप में इसे एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। इन हालत पर भारत में क्या असर पड़ने वाला है ये चर्चा भी तेज़ हो गई है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्विटर पर लिखा- “राब्ता समिति एमक्यूएम और पीपीपी सीईसी इस समझौते की पुष्टि करेंगे। हम कल आईए को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के साथ डिटेल साझा करेंगे। बधाई हो पाकिस्तान।” इन हालत पर भारत के जानकारों का मत है कि इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का परिणाम जो हो, भारत के पाकिस्तान के साथ संबंधों में तनाव के हालात बने ही रहेंगे।
इमरान ख़ान की सरकार गिरी तो भारत पर क्या होगा असर? https://t.co/b6k1oKMISY
— BBC News Hindi (@BBCHindi) March 30, 2022
पीटीआई सरकार संसद के निचले सदन में बहुमत खो चुकी है। पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं। विपक्ष को इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के के लिए 172 मतों की आवश्यकता है। पीटीआई के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार 179 सदस्यों के समर्थन से बनी थी। ऐसे में एमक्यूएम-पी के इस्तीफे के बाद इमरान खान की पार्टी के पास सिर्फ 164 सदस्यों का समर्थन बचता है। नेशनल असेंबली में विपक्ष के अब 177 समर्थक हैं।
इन हालत पर इमरान सरकार में मंत्री असद उमर का कहना है कि इमरान खान अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) उमर अता बंदियाल को वह पत्र दिखाने के लिए तैयार हैं, जिसमें उन्होंने दावा किया कि विदेशी फंड की मदद से कुछ लोग उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी इमरान खान एक रैली में इस बात का ज़िक्र कर चुके हैं किपाकिस्तान में सरकार बदलने के लिए विदेशी धन मदद से कोशिश की जा रही है।