मानवाधिकार संगठनों ने गाजा में सहायता पहुंचाने पर इजरायल सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ इजरायली सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
अरब मीडिया के अनुसार, पांच गैर-सरकारी और मानवाधिकार संगठनों ने अदालत से गाजा को सहायता पर प्रतिबंध हटाने के लिए तत्काल आदेश जारी करने को कहा है।
संगठन ने कहा कि दो मिलियन फिलिस्तीनियों, जिनमें से आधे बच्चे हैं, को सहायता रोकना मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन और युद्ध अपराध है।
मानवाधिकार संगठन गीशा (Gisha) ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा कि इजरायल ने एक बार फिर गाजा के प्रवेश बिंदुओं पर नियंत्रण कड़ा कर दिया है और भोजन, दवा और अन्य आवश्यक सहायता को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
संगठन ने कहा कि दो मिलियन फिलिस्तीनियों को सहायता रोकना, जिनमें से आधे बच्चे हैं, मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन और युद्ध अपराध है।
उल्लेखनीय है कि गाजा में युद्ध विराम का पहला चरण शनिवार को समाप्त हो गया था, जिसके बाद इजरायल ने अस्थायी युद्ध विराम को सशर्त बढ़ाने की घोषणा की थी। इज़रायली सरकार ने मांग की कि हमास और अधिक बंधकों को रिहा करे, लेकिन हमास ने युद्ध विराम के दूसरे चरण के बिना ऐसा करने से इनकार कर दिया।
हमास के इनकार के बाद, इजरायल ने गाजा में सभी प्रकार की सहायता के प्रवेश को पूरी तरह से रोक दिया, जिससे वहां मानवीय संकट के और अधिक बिगड़ने की आशंका बढ़ गई।
इजरायल द्वारा गाजा में सभी मानवीय सहायता रोक दिए जाने के बाद, गाजा में फिलिस्तीनियों को रमजान के दौरान भुखमरी का डर बना हुआ है। इजराइल के इस कदम की वैश्विक निंदा हो रही है, मिस्र, कतर और जॉर्डन ने इसे युद्धविराम समझौते और मानवीय कानूनों का घोर उल्लंघन बताया है।