हर दिन पाँच साल से कम उम्र के एक हज़ार से ज़्यादा बच्चे असुरक्षित और गंदे पानी के कारण मौत का शिकार हो रहे हैं। महिलाएँ और लड़कियाँ पानी इकट्ठा करने में 200 मिलियन घंटे बिता रही हैं। इस जल संकट के कारण अगले 25 सालों में आधी दुनिया में खाद्य उत्पादन विफल हो सकता है।
लंदन में होने वाली एक पड़ताल बताती है कि मानव इतिहास में पहली बार वैश्विक जल आपूर्ति मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
जल अर्थशास्त्र पर वैश्विक आयोग द्वारा 17 अक्तूबर को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक मीठे पानी की मांग आपूर्ति से 40 प्रतिशत अधिक हो जाएगी।
सामूहिक खराब प्रबंधन ने मीठे पानी और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाया है। खाद्य सुरक्षा के अलावा, जल संकट आर्थिक विकास और जलवायु स्थिरता को भी प्रभावित करेगा।
दुनियाभर के नेताओं और विशेषज्ञों के एक समूह, ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर द्वारा प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में दशकों के सामूहिक खराब प्रबंधन ने मीठे पानी और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाया है और जल संसाधनों को लगातार प्रदूषित किया है।
विशेषज्ञ आगे कहते हैं कि हम अपने भविष्य के लिए ताजे पानी की उपलब्धता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो सकते। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा के अलावा, जल संकट आर्थिक विकास और जलवायु स्थिरता को भी प्रभावित करेगा, जिसमें दुनिया के जल चक्र को बहाल करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आग्रह किया गया है।
आयोग के सह-अध्यक्ष और लेखकों में से एक जोहान रॉकस्ट्रॉम का कहना है कि- “मानव इतिहास में पहली बार, हम वैश्विक जल चक्र को असंतुलित कर रहे हैं।” उनके मुताबिक़, समस्त ताजे पानी का स्रोत वर्षा है और इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि जल चक्र वह प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा पानी भूमि और वायुमंडल के बीच अपना चक्कर पूरा करता है, जो ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है। इसमें जमीन और अन्य निकायों से पानी का वाष्पीकरण होता है, बादल बनते हैं और अंततः बारिश या बर्फ के रूप में जमीन पर गिरते हैं। हालाँकि, इस नाजुक संतुलन में गड़बड़ी पूरी दुनिया में पहले से ही महसूस की जा रही है।