वैज्ञानिकों के मुताबिक़ अल नीनो के दौरान आम तौर पर देखे जाने वाले मौसम के मिजाज से अगले कुछ वर्षों में वैश्विक तापमान रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ने की संभावना है।
अमेरिकी विज्ञान एजेंसी एनओएए के मुताबिक़ दुनिया आधिकारिक तौर पर अल नीनो चरण में प्रवेश कर चुकी है।
1600 के दशक में पेरू के मछुआरों ने इस घटना को पहली बार देखा, उस समय दिसंबर के बावजूद अमेरिका के पास गर्म पानी चरम पर था। इस घटना का उन्होंने स्पेनिश में उपनाम दिया “एल नीनो डी नविदाद”, क्राइस्ट चाइल्ड।
अल नीनो प्राकृतिक जलवायु घटना का हिस्सा है। इसे अल नीनो दक्षिणी दोलन यानी ENSO कहा जाता है। इसकी दो विपरीत स्थितियों के नाम अल नीनो और ला नीना हैं। अल नीनो और ला नीना, दोनों वैश्विक मौसम में महत्वपूर्ण परिवर्तन करती हैं।
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— DW Hindi (@dw_hindi) June 24, 2023
जब उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान दीर्घकालिक औसत से कम से कम 0.5C ऊपर बढ़ जाता है तो इसे अल नीनो कहते हैं। आम तौर पर प्रशांत महासागर में सतही जल पूर्व में ठंडा जबकि पश्चिम में गर्म होता है।
क्योंकि “ट्रेड विंड” का बहाव पूर्व से पश्चिम की तरफ होता हैं, जैसे-जैसे ये हवाएं इस दिशा में आगे बढ़ती हैं, सूर्य की गर्मी पानी को उत्तरोत्तर गर्म करती जाती है।
अल नीनो घटनाओं के समय, इन हवाओं के कमजोर होने के कारण यह उलट जाती हैं, जिससे गर्म सतह का पानी पूर्व की ओर चला जाता है।
ला नीना की स्थिति तब होती है जब सामान्य पूर्व-से-पश्चिम हवाएँ तेज़ हो जाती हैं। यह गर्म पानी को और पश्चिम की ओर धकेलने लगती हैं। जिससे समुद्र की गहराई से ठंडा पानी ऊपर उठता है। इसे “अपवेल” कहते है और इसके नतीजे में पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है।