जश्न के मौके पर उन लोगों को बुलाया गया जिन्होंने हाल ही में इस्लाम कुबूल किया था, लोगों को “सैंडविच, रोटी और घोस्ट, सीडलोफ, बनलोफ, रोटी और मक्खन, चाय और कॉफी” बाँटकर क्रिसमस का जश्न मनाया गया.
पैगंबर ईसा(अ.स.) या जीसस के जन्म की की ख़ुशी में मध्धम संगीत बजाया गया. शाम तक जश्न में शामिल होने वालों की तादाद बढती रही. माहौल बहुत ही खुशनुमा था और वहां के मुस्लिमों इस्लाम चर्च में आये सभी लोगों को खाना खिलाया और चाय भी बांटी.
शाम का आगाज़ सुहाने गीतों और रौशनी के रंग के साथ हुआ और यह जश्न का सिलसिला रात तक जारी रहा, इसी तरह विलियम अब्दुल्लाह ने क्रिसमस का जश्न मनाया.