मुंबई/ढाका। म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के फाउंडर गुलशन कुमार के मर्डर के दोषी अब्दुल रऊफ मर्चेंट को जल्द ही बांग्लादेश से भारत लाया जाएगा। मर्चेंट फर्जी पासपोर्ट केस में 2009 से जेल में बंद था। रविवार को इसकी रिहाई हो गई। बता दें कि गुलशन कुमार मर्डर केस में मर्चेंट को 2002 में उम्रकैद हुई थी। लेकिन पैरोल पर रिहा होने के बाद यह भाग गया था। तब से यह बांग्लादेश में है। अभी मर्चेंट बांग्लादेश पुलिस की कस्टडी में है। gulshan kumar
मर्चेंट ढाका सेंट्रल जेल से रविवार शाम 4.30 बजे रिहा हुआ। रिहाई के बाद से ही वह बांग्लादेश पुलिस कस्टडी में है।
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने बताया “भारत और बांग्लादेश के बीच हुई स्पेशल एक्रिडिएशन ट्रीटी के बाद अब उसे भारत को सौंप दिया जाएगा।”
”बांग्लादेश सरकार ने यहां के जेलों में बंद तमाम ऐसे विदेशी कैदियों को उनसे संबंधित देशों को लौटा देने का फैसला किया है, जिनकी बांग्लादेश में सजा पूरी हो गयी है। इसके लिए बांग्लादेश की होम मिनिस्ट्री सजा काट चुके शख्स के देश से कॉन्टैक्ट कर रही है। इसी आधार पर मर्चेंट को भी भारत को सौंपना चाहता है।”
बता दें कि इससे पहले असम के अलगाववादी संगठन के अनूप चेटिया को बांग्लादेश लौटा चुका है।
मर्चेंट 2009 में बांग्लादेश भागा और अरेस्ट हो गया
मर्चेंट को गुलशन कुमार के मर्डर केस में कोर्ट ने दोषी ठहराया था। अप्रैल 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
2009 में उसे बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल मिली थी। इसी दौरान वह बांग्लादेश भाग गया था।
यहां बांग्लादेश पुलिस ने इसे फर्जी पासपोर्ट मामले में अरेस्ट किया।
मर्चेंट को बांग्लादेश में अरेस्ट करने के बाद पहले गाजीपुर के काशिमपुर जेल में रखा गया। फिर उसे नवंबर 2014 से ढाका सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया।
कब हुई थी गुलशन कुमार का मर्डर
गुलशन कुमार का मर्डर 12 अगस्त 1997 में मुंबई के अंधेरी में हुआ था। उन पर उस वक्त हमला किया गया जब वे जीतेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा के लिए गए थे।
आरोप लगा कि इस मर्डर में नदीम श्रवण जोड़ी के नदीम सैफ का हाथ है।