नई दिल्ली ।तेजी से बढ़ रहे ई-कॉमर्स सेक्टर को सरकार ने एक और तोहफा दिया है। सरकार ने एफडीआई और टैक्स समेत कई अन्य मसलों से जुड़ी ई-कॉमर्स सेक्टर की समस्याओं के हल के लिए एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। इससे ऑनलाइन बिजनेस में और तेजी आने की उम्मीद है। नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी के अधिकारी भी शामिल होंगे। इनके अलावा पैनल में महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत चार राज्यों के प्रतिनिधि भी रहेंगे।
हाल ही में सरकार ने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी है। इसलिए पैनल का गठन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) ने भी ई-कॉमर्स रिटेलिंग में ऑटोमेटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी है। हालांकि गाइडलाइंस के मुताबिक ई-कॉमर्स के इन्वेंटरी बेस्ड मॉडल में एफडीआई की अनुमति नहीं दी गई है।
हालिया नियमों के मुताबिक स्टेट ऑफ द आर्ट और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी वाले विदेशी संस्थानों को 30 फीसदी सालाना अनिवार्य सॉर्सिंग के नियम से पहले तीन सालों के लिए छूट मिलेगी और उसके बाद पांच सालों के लिए भी सॉर्सिंग को लेकर कुछ राहत मिलेगी। एफडीआई के नए नियमों के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री दर को प्रभावित करने वाला कोई मार्केटप्लेस मॉडल नहीं ला सकती है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वेंडर के लिए सैल्स कैपिंग भी 25 फीसदी तक सीमित है, ताकि ई-टेलर्स और वेंडर्स की ओर से मार्केटप्लेस मॉडल का दुरुपयोग होने से रोका जा सके।