काबुल,19 अगस्त : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश से पलायन करने के पश्चात संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शरण लेने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बुधवार को कहा कि वह देश लौटने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
श्री गनी ने फेसबुक पर अपने वीडियो पोस्ट में वह शांति से तालिबान को सत्ता हस्तांतरित करना चाहते थे , लेकिन मुझे मेरी मर्जी के विपरीत अफगानिस्तान से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा, “ मुझे बताया गया था कि तालिबान काबुल में हैं। हमारे बीच एक समझौता था कि तालिबान काबुल में प्रवेश नहीं करेगा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ऐसा किया। मैं फांसी नहीं चाहता, क्योंकि एक राष्ट्रपति के रूप में मैं अफगानिस्तान का सम्मान हूं। मैं मौत से नहीं डरता।”
उन्होंने कहा , “ सुरक्षा बलों ने मुझे बताया कि मेरे खिलाफ साजिश की गयी थी। गत रविवार को मैं हमेशा की तरह अपने कार्यालय में था। इसी दिन दोपहर में मैं काबुल में स्थिति का आकलन करने के लिए रक्षा मंत्रालय गया। अचानक मेरे सुरक्षाकर्मी एक बड़ी साजिश को विफल करने के लिए पहुंचे और मुझे वहां से बाहर निकाला।”
पैसे लेकर देश से पलायन करने संबंधी आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “ मैंने पैसे लेकर अफगानिस्तान से पलायन किया है , यह आरोप निराधार हैं। आप यूएई के कस्टम से इसकी पुष्टि कर सकते हैं। मेरे पास अपने जूते बदलने का समय नहीं था। मेरी सुरक्षा के मद्देनजर मुझे जाने के लिए कहा गया , क्योंकि देश के होने के नाते मेरे लिए एक आसन्न खतरा था।”
उन्होंने कहा कि उनका अफगानिस्तान वापस जाने का इरादा है। रक्तपात से बचने के लिए सुरक्षा कारणों से अफगानिस्तान छोड़ना पडा। पहले भी कई शासकों ने जरूरत के वक्त देश छोड़ा था लेकिन वे फिर लौट आए हैं। तालिबान के साथ बातचीत जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ मुझे अफगानी सुरक्षा बलों पर गर्व है। हम राजनीतिक मोर्चे पर हारे हैं।”
अशरफ गनी ने कहा , “ मेरी प्रतिबद्धता देशवासियों और महिलाओं को रक्तपात से बचाने तथा देश में शांति, स्थिरता और विकास सुनिश्चित करने की थी। मुझे उम्मीद है कि इन आने वाले दिनों में हम इससे उबर जाएंगे और अफगानिस्तान शांति और स्थिरता का माहौल होगा।”